शिमला, जसपाल ठाकुर
अब सरकारी स्कूलों में पांचवीं और आठवीं के छात्रों को दोपहर का खाना नहीं मिलेगा। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने सरकार को प्रोपोजल भेजा है, उस प्रोपोजल में विभाग की ओर से कहा गया है कि मार्च माह तक स्कूलों में मिड-डे मील न बनाने की अनुमति दी जाए।
वहीं पहले की तरह छात्रों को घर पर ही राशन पहुंचाए जाने की बात यहां पर विभाग की ओर से की गई है। ऐसे में शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में मिड-डे मील को लेकर सरकार क्या फैसला लेती है, यह देखना अहम होगा।
दरअसल कोरोना वायरस के मामले आने के बाद सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्रों को राशन घर तक पहुंचाया जा रहा था। पहली फरवरी से जब स्कूल खोले गए, तो पांचवीं और आठवीं के छात्रों को मिड-डे मील स्कूल में तैयार कर दिया जाने लगा था।
मिड-डे मील वर्कर के पॉजिटिव आने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से यह बड़ा फैसला लिया जा रहा है। बता दें कि हमीरपुर जिला में मिड-डे मील वर्कर संक्रमित पाई गई थी, इस दौरान वर्कर ने पहले दिन स्कूल में 32 बच्चों को दोपहर का खाना परोसा था।
शिक्षा विभाग अब कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता है। यही वजह है कि स्कूलों में मिड-डे मील न बनाकर घर पर सूखा राशन पहुंचाने की प्लानिंग की जा रही है।
अब देखना होगा कि क्या सरकार शिक्षा विभाग के इस प्रोपोजल को मंजूरी देती है या फिर से स्कूलों में ही दोपहर का खाना पकता है। कक्षा पहली से चौथी, छठी, सातवीं के छात्रों को घर पर ही राशन भेजा जा रहा है।