चैट से चटक रहे शादी के बंधन

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हिमखबर- डेस्क

‘तुम उससे चैट करते हो…मैं कई दिन से देख रही हूं। इंटरनेट मीडिया पर वो तुम्हारे साथ क्यों है…तुम्हारी हर पोस्ट को लाइक और कमेंट भी करती है। आजकल कई मामलों में ऐसी शिकायतें आने के बाद पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में दरार आ रही है।

स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा महिला-पुरुष के रिश्तों को निकट लेकर आए हैं, लेकिन यही निकटता कई घरों को उजाड़ भी रही है। धारणा है कि महिलाएं स्वभाव से शंकालु होती हैं, लेकिन पुरुष भी इससे पीछे नहीं हैं। डिजिटल युग में युवक-युवतियां इंटरनेट मीडिया के जरिये विवाह बंधन में बंधते हैं और गिनती के दिन बाद अलग होने में भी संकोच नहीं करते।

कई बार देखा गया है कि विवाह बंधन जैसा पवित्र रिश्ता सात जन्मों का नहीं बल्कि सात-आठ दिन का होकर रह जाता है। इंटरनेट के माध्यमों फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम से कुछ समय के भीतर एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होने वाले प्रेमी विवाह कर लेते हैं और अलग होने में भी देरी नहीं लगाते।

हिमाचल प्रदेश महिला आयोग के पास 35 मामले ऐसे आए हैं जहां फेसबुक पर मुलाकात हुई, प्रेम हुआ और विवाह बंधन में बंध गए। कुछ दिन साथ रहने के बाद अलग भी हो गए। रिश्तों में गंभीरता नहीं रही, भरोसा, ठहराव, लगाव, आकर्षण, मर्यादा सबकुछ जाता रहा है।
कोरोना काल से पहले आई ज्यादा शिकायतें
कोरोना काल से पहले विवाह टूटने के मामलों में तेजी आने लगी थी। कई मामलों में लड़की को ससुराल में परिवार अधिक बड़ा लगा। लड़का अकेला हो तो सबसे अच्छा। सास-ससुर की दखलअंदाजी न हो। घरेलू कामकाज करने से गुरेज रहता था, मगर जैसे-तैसे रिश्ते निभते जा रहे थे। दहेज उत्पीडऩ के मामले आते थे। पति द्वारा पत्नी से मारपीट के केस आते थे। सास-ससुर पर भी प्रताडि़त करने के आरोप लगे।
इंटरनेट मीडिया बना बड़ा कारण
सामान्य तौर पर महिला आयोग के पास साल में 40 से 60 शिकायतें प्राप्त होती हैं। कोरोना काल में 35 मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें इंटरनेट मीडिया विवाह टूटने का कारण बना है। पत्नी का पति पर शक करना ही रिश्ता टूटने का कारण बना। इसी तरह पति की ओर से पत्नी पर गंभीर आरोप लगाते हुए अलग होने के मामले आए। विवाह होने के बावजूद पति-पत्नी स्मार्टफोन के जरिये चल रहे रिश्तों में एक-दूसरे के दखल को बर्दास्त करने को तैयार नहीं। शहरी क्षेत्रों के साथ गांवों में भी स्मार्टफोन विवाह बंधन टूटने का बड़ा कारण बन रहा है।
स्वजन की भी परवाह नहीं
महिला आयोग मानता है कि पहले पति-पत्नी आपसी कलह के बावजूद अलग होने का निर्णय नहीं लेते थे कि स्वजन की इज्जत का क्या होगा। रिश्ते तय करने में कई वर्ष या महीने लगते थे, जिसमें माता-पिता और निकटवर्ती स्वजन की भूमिका रहती थी। अब यह सब खत्म होता जा रहा है।
डेजी ठाकुर, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग के बोल
अब तो विवाह के मायने बदल गए हैं। लोग आज विवाह करते हैं और माह, दो माह के भीतर अलग हो रहे हैं। इंटरनेट मीडिया एक-दूसरे को नजदीक लाने का जरिया बना है, तो दूर करने में भी घातक भूमिका निभा रहा है। पत्नी को पता चलता है कि पति की उम्र अधिक है, जो इंटरनेट मीडिया पर छुपाई गई थी।
इसी तरह गोरी दिखने वाली युवती का चेहरा कुछ और निकला। पांच वर्ष के आंकड़ों का आकलन किया जाए तो विवाह बंधन की परिभाषा नई मगर क्षणिक हुई है। कई बार पत्नी तो कुछ मामलों में पति एडजेस्टमेंट कर पाते हैं।
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