चम्बा – भूषण गुरुंग
भारत में प्रकृति के ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं जो इंसानों को अचंभे में डाल देते हैं। कहीं पहाड़ों पर गिरती बर्फ तो कहीं तपता रेगिस्तान। देश में कई ऐसे अजूबे हैं जिनको देखने अक्सर इंसानों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है। अब ऐसा ही कुछ हुआ है हिमाचल प्रदेश के चंबा में। यहां पर कड़ाके की ठंड के बीच हर साल की तरह इस साल भी शिवलिंग बन गई गई है।
झरना जमने से बना शिवलिंग
हिमाचल के चंबा के जनजातीय उपमंडल पांगी की सुराल पंचायत के खंगसर धार में पड़ रही बेतहाशा ठंड के चलते एक बहता हुआ झरना जम कर बर्फ हो गया। झरना जमने से बहता हुआ पानी शिवलिंग के आकार में जम गया। हर साल की तरह इस साल भी ये शिवलिंग पूर्ण रुप ले चुका है। शिवलिंग श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं।
हर साल बनता है शिवलिंग
बता दें, जिला चंबा को शिव भूमि के नाम से जाना जाता है। भरमौर मणिमेहश के नाम से विख्यात भोलेनाथ का निवास स्थान है। इसी प्रकार से साहो स्थित प्राचीन चंद्रशेखर मंदिर सहित ऐसे ही कई शिव मंदिर पूरे जिला में लोगों के श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं।
जिला चंबा की पांगी घाटी के धरवास तथा किलाड़ सहित कई गांव में भोलेनाथ के प्राचीन मंदिरों के अतिरिक्त लोगों की ओर से शिव मंदिरों की स्थापना की है। लेकिन, पांगी के सुराल के खंगसर झरने से बना यह शिवलिंग लोगों की आस्था और असुरीय शक्तियों से रक्षा का केंद्र है। हर साल अक्टूबर से मार्च माह तक झरने में शिवलिंग की आकृति यूं ही बरकरार रहती है।
भगवान भोलेनाथ देते हैं दर्शन
पांगी की ग्राम पंचायत सुराल पंचायत खंगसर धार में नवंबर से मार्च माह तक भगवान भोलेनाथ बर्फ के शिवलिंग के रूप में अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं।
जिला चंबा के पांगी घाटी में जैसे ही सर्दी का मौसम शुरू होता है तो तापमान में गिरावट आनी शुरू हो जाती है। जब तापमान शून्य से पांच डिग्री तक नीचे चला जाता है तो घाटी में पानी जम कर पत्थर बनकर शीशे का रूप लेता है।
पांगी के पर्यटन स्थल सुराल के खंगसर धार में भगवान शिव अपने भक्तों को बर्फ के शिवलिंग के रूप में दर्शन देकर उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। खंगसर में पानी का झरना गिरता है, जिसको स्थानीय भाषा में खंगसर छो भी कहा जाता है।
अक्टूबर माह में यहां पर तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। पांगी के झरने से पानी के गिरने से यहां पर बर्फ जमनी शुरू हो जाती है। जो कि शिवलिंग का आकार लेना शुरू करती है। धीरे-धीरे यहां झरने के नीचे शिवलिंग बन जाता है। लोग और श्रद्धालु उसके दर्शन करके स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हैं।
भक्तों की मनोकामना होती है पूरी
पांगी में बर्फ पड़ना और पानी का जमकर पत्थर व शीशा बनना आम बात है। लेकिन, आम स्थानों पर इस तरह से शिवलिंग के दर्शन यहीं होते हैं।
पूर्व जनजतीय परिषद के सदस्य कल्याण सिंह ठाकुर का कहना है कि बर्फ पड़े न पड़े, अक्तूबर माह से खंगसर झरने से बर्फ का शिवलिंग बनाना शुरू हो जाता है। जो कि मार्च व अप्रैल माह तक रहता है। जो भी यहां श्रद्धा से दर्शन करता है। भगवान भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।