गेहूं की कटाई को लेकर किसानों-मजदूरों के बीच हंगामा, मनमानी दिहाड़ी मांगने पर बिफरे किसान

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गेहूं की कटाई को लेकर किसानों-मजदूरों के बीच हंगामा, मनमानी दिहाड़ी मांगने पर बिफरे किसान 

ऊना, 24 अप्रैल – अमित शर्मा

गेहूं की फसल काटने को लेकर मजदूरों द्वारा मांगी जा रही मनमानी दिहाड़ी पर किसान बिफर पड़े हैं। बुधवार सुबह इस मामले को लेकर किसानों और मजदूरों के बीच शहर के एमसी पार्क के बाहर जबरदस्त हंगामा हो गया। गेहूं की कटाई का काम करने वाले मजदूर 800 से 900 रुपया प्रति दिहाड़ी मांग रहे हैं, जबकि कैनाल के हिसाब से ठेका करने पर एक कनाल का 1200 से 1500 रुपया मांगा जा रहा है।

पहले ही कुदरत की मार झेल रहे किसानों के लिए मजदूरों की यह रेट कमर तोड़ने वाले साबित हो रहे हैं। जिला मुख्यालय के एमसी पार्क के बाहर बुधवार सुबह इस मामले को लेकर किसानों और मजदूरों के बीच हुए हंगामे में किसानों ने मजदूरों को मौके से भगा दिया। हालांकि अब मजदूरों द्वारा मांगी जा रही मनमानी दिहाड़ी का मामला डीसी के दरबार भी जा पहुंचा है।

किसानों ने डीसी ऊना से मांग की है कि मजदूरों पर थोड़ा अंकुश लगाया जाए। दूसरी तरफ गेहूं फसल की कटाई के चलते कंस्ट्रक्शन लाइन से जुड़े मजदूर भी अपना काम छोड़कर मनमानी दिहाड़ी हासिल करने के लिए एमसी पार्क पहुंच रहे हैं।

ऊना जिला मुख्यालय के चंडीगढ़ धर्मशाला नेशनल हाईवे पर स्थित एमसी पार्क के बाहर बुधवार सुबह उस वक्त बड़ा हंगामा हो गया, जब गेहूं की फसल कटाई को लेकर किसानों और मजदूरों के बीच तनातनी बढ़ गई।

दरअसल गेहूं की कटाई के लिए मजदूर लेने पहुंचे किसानों के पैरों तले उस वक्त जमीन सरक गई जब मजदूरों ने 800 से लेकर 900 रुपए तक दिहाड़ी मांग ली। हालांकि फसल कटाई के लिए ठेका करने पर भी मजदूरों के बेतहाशा रेट किसानों के गले नहीं उतर पाए। मोलभाव करने के चक्कर में दोनों ही पक्षों के बीच तनातनी हो गई, जिसके बाद किसान आग बबूला हो गए और उन्होंने एमसी पार्क के बाहर से मजदूरों को खदेड़ना शुरू कर दिया।

किसानों का कहना है कि गेहूं फसल की कटाई के सीजन में मजदूरों द्वारा हमेशा मनमानी दिहाड़ी मांगी जाती है। उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल कटाई के लिए मांगे जाने वाले पैसे चुकाना किसानों के भी बस में नहीं है। किसानों ने जिला प्रशासन से मामले में दखल देने की मांग की।

उन्होंने कहा कि इस मामले को प्राथमिकता से लेते हुए जिला प्रशासन फसल कटाई के लिए दिहाड़ी मजदूरी तय करें। ताकि किसानों की कड़ी मेहनत को बर्बाद होने से बचाया जा सके और मजदूरी के नाम पर किसानों के साथ हो रही लूट को भी रोका जा सके।

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