गायों के कृत्रिम गर्भाधान और नस्ल सुधार से लाभान्वित हो रहे पशु पालक।
सरकाघाट 29 अगस्त – अजय सूर्या
पशुपालन विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा चलाए जा रहे एकसलेरिटेड ब्रीड इम्परूवमेंट प्रोग्राम – सेक्स सार्टेड तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। हमारा प्रदेश कृषि प्रधान है। किसानों की आय तभी दोगुनी हो सकती है, जब गाय प्रजाति मे बछिया पैदा हों और उनके दूध से किसानों को आय हो सके।
इसके लिए सेक्स सार्टेड सीमेन टेक्नोलोजी से बछड़ों के जन्म दर को कम करके बछिया के जन्म दर को बढाने के लिए हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग प्रयत्नशील है। आज देश- प्रदेश में बछडों – बैलों की बढती जनसंख्या तथा दूसरी ओर खेतों में इनके न्यूनतम इस्तेमाल से बछड़े अनुपयोगी बन कर सड़कों में आवारा पशुओं के रूप में घूम कर चिंता का सबब बन कर रह गए हैं। उपरोक्त वर्णित तकनीक के उपयोग से मादा वर्ग के पशुओं की संख्या बढेगी तो निराश्रित गायों को भी आश्रय मिलेगा।
नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन को मिलेगी नई दिशा
मंडी जिला के सरकाघाट उपमंडल के तहत पशु चिकित्सालय बल्दबाड़ा के प्रभारी चिकित्सक डाॅ आशीष कुमार शर्मा ने बताया कि इस तकनीक में सीमेन से वाय क्रोमोसोम को अलग कर दिया जाता है। जिससे 90 से 95 प्रतिशत तक बछिया पैदा होने की संभावना होती है।
उन्होंने बताया कि इस तकनीक के विस्तारित होने से नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन को नई दिशा मिल सकती है। उन्नत नस्ल की बछिया होने पर पशुपालक दुग्ध उत्पादन में रुचि लेंगे। पशुपालक गाय को घर मे बांधकर रखेंगे जिससे सड़क में आवारा घूमने वाले पशुओँ की संख्या भी रूक पाएगी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग द्वारा पशु पालकों के हितार्थ अनेकों लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनमें त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत कृत्रिम गर्भाधान विधि द्वारा गायों से मादा बछिया पैदा की जाती है। जिसके विभाग 250 रूपये दो टीकों के लेता है और गाय को हीट आने पर टीका लगाया जा सकता है।
अगर गाय टीके लगाने पर भी गर्भधारण नहीं करती तो दूसरा टीका लगाने का अतिरिक्त धन नहीं लिया जाता है। अगर पहले टीके से गाय के बछिया पैदा नहीं होती तो दूसरा टीका निःशुल्क लगाया जाएगा। अगर दूसरे टीके के बाद भी बछिया पैदा न हो तो 250 रूपये रिफंड कर दिए जाएंगे।
डाक्टर ने बताया कि टीके से 90 प्रतिशत बछिया पैदा होने की संभावना होती है लेकिन 10 प्रतिशत संभावना है कि बछड़ा भी पैदा हो सकता है। अगर बछड़ा पैदा होता है तो पहले टीके से यदि बछड़ा हो जाए तो कोई रिफंड नहीं मिलेगा लेकिन यदि दूसरे टीके से बछड़ा पैदा हो तो 125 रूपये यानि 50 % राशि बापिस कर दी जाएंगी। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया।
डाक्टर आशीष ने बताया कि पशु चिकित्सालय बल्दबाड़ा में इस तरह की नस्ल सुधारने के टीके उपलब्ध है। दोनों जर्सी और होसटन गायों के। उन्होंने बताया कि चिकित्सालय मे अब तक 64 गायों को यह टीका लगाया गया है। इसमे 12 पशु गर्भावस्था में है और 03 की बछड़ी पैदा हो चुकी है।
रविपाल ठाकुर पशुपालन सहायक जोकि पशु चिकित्सालय बल्दबाड़ा में कार्यरत हैं ने बताया कि विभाग ने सैक्स सार्टेड सीमन कृत्रिम गर्भाधान करने का कार्यक्रम चला रखा है। जिससे पशुपालकों को सामाजिक, आर्थिक लाभ पहुंचा है। वहीं नर बछड़ों से निजात मिलेगी जो बेसहारा बन सड़कों पर घूम रहे हैं और दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे हैं।
मुख्य मंत्री, विभाग तथा सरकार का जताया आभार
सरकाघाट उपमंडल के बल्दबाड़ा क्षेत्र के गांव नगरोटा के स्थाई निवासी यशोदा देवी पत्नी कुलदीप चंद ने बताया कि उन्होंने पशुपालन अस्पताल बल्दबाड़ा से गाय को बछड़ी होने का टीका लगाया था तथा उनकी गाय को बछिया पैदा हुई है जोकि लगभग तीन सप्ताह की हो गई है।
इसी गांव के सौरभ शर्मा, जीवन लाल तथा राज कुमार गुप्ता ने भी इस योजना के माध्यम से गायों से बछियों की प्राप्ति की। इन सभी पशुपालकों ने इस तकनीक से बछिया प्राप्ति को एक बहुत अच्छी योजना बताया तथा कहा कि आजकल बैलों का काम रहा नहीं है। खेती बाड़ी में ट्रैक्टर सहित आधुनिक मशीनों का सहारा लिया जा रहा है।
बछड़ों को लोग दर दर भटकने के लिए सडकों पर छोड़ देते हैं। यह टीका अच्छी सुविधा है पशु पालकों के लिए, जहाँ उनका दुग्ध उत्पादन बढेगा तो आय भी बढेगी। वहीं बैलों- बछड़ों को लेकर भी कोई चिंता नहीं रहेगी। उन्होंने सभी गाय पालकों से गायों के लिए इस टीके को लगाने तथा टीके को आम पशुपालक को उपलब्ध करवाने हेतु प्रदेश सरकार, पशुपालन विभाग एवं मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया ।