रैहन – अनिल शर्मा
गद्दी सिध्द बाबा शिबबोथान भरमाड़ में सोमवार को मकर संक्रांति का कार्यक्रम श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर महंत सतीश वत्स की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
महामंडलेश्वर सतीश वत्स ने उपस्थित भक्तों को अपने प्रवचनों से निहाल करते हुए कहा कि बिना सत्संग ज्ञान नहीं मिलता है और ज्ञान संत महात्माओं के सानिध्य में ही मिलता है।
उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि की विशेष पूजा रात्रि काल में होती है। भक्त चार प्रहर में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं। उन्होंने कहा महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। इस दिन मिट्टी के पात्र या तांबे के लोटे में जल, मिश्री, कच्चा दूध डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
वत्स ने कहा कि चार प्रहर की पूजा करने से व्यक्ति जीवन के सभी पापों से मुक्त हो जाता है। धर्म,अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चार पहर की पूजा संध्याकाल से शुरू होकर अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है।
प्रथम प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप के पूजन का विधान है। जबकि द्वितीय प्रहर में दही से अघोर स्वरुप का अभिषेक किया जाता है।
वहीं तृतीय प्रहर में घी से वामदेव रूप का पूजन करना महत्वपूर्ण है।जबकि चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करके पूजन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि त्रिलोकीनाथ का पूजन उपरोक्त विधि से पूजन नहीं हो पाए। एक बार पूजन करने से ही शिवभक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर आज पास के कई प्रभु प्रेमी भक्त उपस्थित रहे।