कोविड के बाद शिक्षा के स्तर में पिछड़ा हिमाचल

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हमीरपुर – अनिल कपलेश

 पूरे देश में गत वर्ष हुए नेशनल अचीवमेंट सर्वे (National Achievement Survey) की रिपोर्ट ने हिमाचल के शिक्षा स्तर में गिरावट दर्शाई है।

चिंताजनक यह है कि इस सर्वे में हिमाचल की स्थिति वर्ष 2017 में हुए सर्वे के परिणामों से भी बदतर हो गई है। शिक्षा में नंबर वन होने की डगर पाने के लिए अभी बहुत मुश्किलें शिक्षकों और अभिभावकों के समक्ष हैं।

इस सर्वे में हिमाचल के सरकारी और प्राइवेट मिलाकर 1964 स्कूल शामिल थे और 43573 विद्यार्थियों व 8576 शिक्षकों का यह सर्वे गत वर्ष हुआ।

बच्चों का टैस्ट में प्रदर्शन देखें तो बेसिक ज्ञान से भी कम स्तर पर सरकारी और प्राईवेट स्कूलों के विद्यार्थियों का आंकड़ा चौंकाने वाला है।

भाषा में कक्षा तीसरी के 32 प्रतिशत , कक्षा पांचवी के 22 प्रतिशत , आठवीं कक्षा के 14 प्रतिशत, दसवीं कक्षा की अंग्रेज़ी विषय में 16 प्रतिशत और आधुनिक भारतीय  भाषा में 46 प्रतिशत बच्चों को आधारभूत ज्ञान भी नहीं है और गणित विषय में तीसरी के 26 प्रतिशत , पांचवी कक्षा के 41 प्रतिशत , आठवीं कक्षा के 27 प्रतिशत , दसवीं कक्षा में 34 प्रतिशत और बच्चों को आधारभूत ज्ञान भी नहीं है ।

पर्यावरण अध्ययन विषय में तीसरी के 24 प्रतिशत और पांचवी के 39 प्रतिशत विद्यार्थी बेसिक ज्ञान से वंचित हैं। विज्ञान विषय में कक्षा आठवीं के 33 प्रतिशत और दसवीं के 75 प्रतिशत बच्चे मौलिक ज्ञान से महरूम हैं जबकि सामाजिक अध्ययन  विषय में कक्षा आठवीं के 47 प्रतिशत और दसवीं के 60 प्रतिशत बच्चे मौलिक ज्ञान से दूर हैं।

कुल मिलाकर सामान्य बेसिक ज्ञान तक सीमित और बेसिक से कम ज्ञान वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा कक्षा तीसरी में भाषा में 64 प्रतिशत, गणित में 67 प्रतिशत, पर्यावरण शिक्षा में 61 प्रतिशत, पांचवी कक्षा में भाषा में 64 प्रतिशत , गणित में 89  प्रतिशत , पर्यावरण शिक्षा में 77 प्रतिशत, आठवीं कक्षा  में भाषा में  58 प्रतिशत, गणित में 81 प्रतिशत, विज्ञान  में 71 प्रतिशत, सामाजिक अध्ययन में 85 प्रतिशत है।

दसवीं कक्षा में अंग्रेज़ी विषय  में  30 प्रतिशत , गणित में 86 प्रतिशत , विज्ञान  में 93 प्रतिशत, सामाजिक अध्ययन में 83 प्रतिशत विद्यार्थी बेसिक या उससे कम स्तर का ज्ञान रखते हैं।

राजकीय टीजीटी कला संघ प्रदेश महासचिव विजय हीर ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षा सचिव से इस बारे में तुरंत आवश्यक सुधार की गुहार लगाई है।

हीर ने बताया कि वर्ष 2017 में एनएएस में जो उपलब्धि स्तर था , 2021 में कोविड के कारण हुए पढ़ाई के नुकसान से सभी कक्षाओं में और नीचे चला गया है जिसके लिए रेमेडियल प्लान आवश्यक है ।

शिमला और लाहौल की स्थिति बेहतर

नेशनल अचीवमेंट सर्वे में शिमला और लाहौल-स्पीति को छोड़कर शेष जिलों का ओवरऑल प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से नीचे रहा है। राष्ट्रीय औसत कक्षा 3 हेतु 59, कक्षा 5 हेतु 49, कक्षा  8 हेतु 41.9 , कक्षा 10 हेतु 37.8 है जिसकी औसत 46.9 बनती है ।

औसत प्रदर्शन की गणना करें तो शिमला जिले का 48.88 और लाहौल स्पीति का 47.05 है जबकि शेष स्कोर देखें तो जिला बिलासपुर का 45.5, कुल्लू का 44.45, ऊना का 45.23, मंडी का 46.2, सिरमौर का 45.17, कांगड़ा का 46.52, सोलन का 45.07, किन्नौर का 44.17, चंबा का 40.3 और हमीरपुर का 42.92 है ।

कभी शिक्षा में नंबर वन रहने वाले हमीरपुर जिला की स्थिति काफी बिगड़ी है ।

राष्ट्रीय औसत से भी कम रहा प्रदर्शन

इस सर्वे में राष्ट्रीय औसत से भी कम प्रदर्शन कई विषयों में हुआ । तीसरी और पांचवीं कक्षा में भाषा , गणित , पर्यावरण शिक्षा में समस्त प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कम रहे हैं।

आठवीं और दसवीं कक्षा में गणित में भी राष्ट्रीय औसत से कम प्रदर्शन स्तर रहा है । जिन विषयों में राष्ट्रीय औसत से अधिक स्कोर है , वह मामूली ज्यादा है ।

सही उत्तर देने में ये है स्थिति

सर्वे के प्रश्नों के उत्तर तीसरी कक्षा में सरकारी स्कूलों के बच्चों ने अधिक ठीक दिए हैं मगर शेष कक्षा 5, 8 और 10 में निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ने सरकारी से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है।

मगर जब कुल सही उत्तर के स्कोर की स्थिति देखें तो दोनों की स्थिति ही संतोषजनक नहीं है क्योंकि मूल ज्ञान का अभाव दोनों में ही पाया गया है ।

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