पालमपुर – बर्फू
चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, शोध व प्रसार कार्यक्रमों व कृषि विस्तार के क्षेत्रों में सराहनीय उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय परिवार बधाई का पात्र है।
राज्यपाल व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति शिव प्रताप शुक्ल ने ये बात आज पालमपुर में विश्वविद्यालय की 26 वीं सीनेट (अभिषद) बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (आई.आर.ए.एफ.) में विश्वविद्यालय ने देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में 13वाँ स्थान अर्जित किया है। यह गौरवपूर्ण उपलब्धि समर्पित शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों की मेहनत का प्रतिफल है।
राज्यपाल ने कहा कि विश्व विद्यालय द्वारा 182 नई किस्मों का विकास एवं अनुमोदन और 27 स्थानीय किस्मों का पंजीकरण, प्रदेश के किसानों की समृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन, स्मार्ट खेती के नए प्रयोग, और सटीक कृषि पद्धतियों का प्रसार दर्शाता है कि यह विश्वविद्यालय न केवल अनुसंधान कर रहा है, बल्कि उसे खेत तक पहुँचाने की दिशा में भी सक्रिय है।
राज्यपाल ने जोर देते हुए कहा कि कृषि वैज्ञानिक अपने शोध कार्यों को किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित करें। 2047 तक विकसित भारत” के सपने को साकार करने के लिए प्राकृतिक और डिजिटल खेती को प्रोत्साहित करना, पहाड़ी क्षेत्रों में फसल विविधीकरण, स्मार्ट गांवों की स्थापना, कटाई के बाद प्रसंस्करण, कोल्ड चेन का विस्तार तथा ई-नाम के माध्यम से बाजारों तक किसान की सीधी पहुँच सुनिश्चित करना समय की मांग है।
उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित इनक्यूबेशन सेंटर से उभरते हुए कृषि स्टार्टअप्स को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (रफ्तार), मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना और स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों के तहत सक्रिय समर्थन मिल रहा है। इससे युवाओं में नवाचार की भावना पनप रही है।
राज्यपाल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अपनाने में विश्वविद्यालय की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। अनुभव आधारित शिक्षण, ग्राम्य इंटर्नशिप, उद्यमिता प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को केवल नौकरी खोजने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनने के लिए तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने ये भी कहा कि हमारे समाज की प्रमुख चुनौतियों में से एक नशा है। ये आज के समय कि जरूरत है कि विश्वविद्यालय की सभी आउटरीच गतिविधियों में नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान सम्मिलित हों।
यह परिसर न केवल शैक्षणिक गतिविधियों में अग्रणी हो, बल्कि स्वस्थ, सुरक्षित एवं संवेदनशील वातावरण का उदाहरण भी बने।
राज्यपाल ने कहा कि रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों के समाधान के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालय ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
सीमांत क्षेत्रों में ब्लूबैरी जैसी नवाचारपूर्ण फसलें अपनाकर यह दिखाया गया है कि युवा वर्ग खेती को लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपना सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में, विश्वविद्यालय में लगभग 60 करोड़ रुपये की 140 परियोजनाएं संचालित हो रही हैं और 67 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समझौते किए गए हैं। यह शोध व नवाचार में वैश्विक सहयोग की दिशा में सशक्त कदम है। इन प्रयासों को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि सार्वजनिक विश्वविद्यालयों से पूर्णतः आर्थिक आत्मनिर्भरता की अपेक्षा उचित नहीं है, परंतु संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग, आंतरिक आय के सृजन, और मितव्ययी प्रशासन के माध्यम से अपनी वित्तीय स्थिति को मज़बूत करना आवश्यक है, ताकि हम प्रतिस्पर्धा में पीछे न रहें।
उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अनुसंधान, प्रशासन और शिक्षा में कभी भी ईमानदारी से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। हमारे डेटा निष्पक्ष हों, हमारा दृष्टिकोण पारदर्शी हो और हमारा प्रयास सदैव जनहित में हो।
राज्यपाल ने विश्वास जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कृषि क्षेत्र में समग्र विकास का अग्रदूत बना रहेगा।
इससे पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में जिंकगो बिलोबा (जीवित जीवाश्म) का पौधा भी रोपा।
सीनेट की बैठक के दौरान पालमपुर के विधायक आशीष बूटेल ने क्षेत्र में हल्दी की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य योजना तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया।
इसी तरह देहरा की विधायक कमलेश ठाकुर ने किसानों को दिए जाने वाले कृषि उपकरणों में गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की बात कही।
विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) प्रोफेसर नवीन कुमार ने विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी सीनेट की बैठक में प्रस्तुत की।
ये रहे उपस्थित
बैठक में कृषि सचिव सी पाल रासु, राज्यपाल के सचिव सीपी वर्मा, निदेशक उद्यान विनय सिंह, निदेशक मत्स्य पालन विवेक चंदेल, उपायुक्त हेमराज बैरवा, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री, संयुक्त निदेशक कृषि डॉ राहुल कटोच, विश्वविद्यालय की कुल सचिव मधु चौधरी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी मौजूद रहे।