पठानकोट: 5 मई, 2021 (भुपिंद्र सिंह ):- उपायुक्त श्री संयम अग्रवाल के दिशा-निर्देश और डॉ रतन पाल सिंह सैनी मुख्य कृषि अधिकारी पठानकोट के नेतृत्व में कृषि व किसान भलाई विभाग ब्लाक पठानकोट द्वारा मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अधीन किसानों को गुणवत्ता वाली कृषि सामग्री उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से ब्लॉक पठानकोट में विशेष मुहिम की शुरुआत की गई । इस अभियान में, डॉ. अमरीक सिंह ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने आकस्मिक निरीक्षण किया। इस अवसर पर डॉ. मनदीप कौर, डॉ. प्रियंका कृषि विकास अधिकारी, श्री गुरदित सिंह, श्री सुभाष चंद्र कृषि विस्तार अधिकारी, श्री अमनदीप सिंह उपस्थित थे।
डॉक्टर अमरीक सिंह ने कहा कि निदेशक कृषि और किसान कल्याण विभाग डॉ. श्री सुखदेव सिंह सिद्धू के आदेश पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत कृषि सामग्री वेकराताओ को गुणवत्ता वाली कृषि सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए विक्रेताओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर कुछ गैर-अनुशंसित किस्मों की खेती किसानों द्वारा की जा रही थी, जिसके कारण किसानों और आढतियों को मंडी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
उन्होंने कहा कि कुछ बीज विक्रेता सीजन से पहले अखबार, टीवी पर विज्ञापन देकर उनके द्वारा तैयार की गई गैर-अनुशंसित किस्मों का विज्ञापन करके गुमराह करते है जिसके कारण किसानों ने बीज खरीदे और धान की खेती की, जो कभी-कभी किसानों के लिए नुकसान का सौदा सिद्ध होती है। इसलिए, पिछले वर्ष के अनुभव को ध्यान में रखते हुए, हाईब्रिड और गैर-अनुशंसित किस्मों की खेती नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कृषि और किसान कल्याण पंजाब विभाग ने पीआर 129, 128, 122, 121, पीआर 127, पीआर 124 पीआर 126 की खेती की सिफारिश की है। उन्होंने बीज विक्रेताओं को किसानों को बीज की बिक्री के लिए बिल का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी बिना लाइसेंस वाले व्यक्ति या आढतियों से बीज खरीदने से बचना चाहिए। टीम ने बीज और कीटनाशकों की बिक्री से संबंधित दस्तावेजों की जांच की और जिन डीलरों को कमियां मिलीं, उन्हें फटकार लगाई, उन्हें भविष्य में दस्तावेजों को सही करने के निर्देश दिए और यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई दुकानदार बिना बिल के खाद, दवा या बीज बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985, कीटनाशक अधिनियम 1968, बीज नियंत्रण आदेश 1983 और आवश्यक उत्पाद अधिनियम 1955 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।