व्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश के ऊना में पटाखा फैक्टरी ब्लास्ट में झुलसी एक बुजुर्ग महिला को वीरवार को पीजीआइ चंडीगढ़ इलाज के लिए रेफर किया गया। बुजुर्ग की हालत नाजुक थी। इसके बावजूद पीजीआइ में बुजुर्ग महिला को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ी। बुजुर्ग का शरीर ब्लास्ट में 30 फीसद तक झुलस चुका था। ऐसी नाजुक हालत में भी पीजीआइ के एडवांस ट्रामा सेंटर ने बुजुर्ग को एडमिट करने से मना कर दिया।
दरअसल ऊना के संतोषगढ़ की रहने वाली 60 साल की नसरा को वीरवार दोपहर करीब एक बजे हालत खराब होने पर पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर किया गया। शाम करीब चार बजे नसरा अपने 34 साल के बेटे अखिल के साथ पीजीआइ चंडीगढ़ पहुंची। पीड़िता के बेटे अखिल ने कहा जैसे ही वह एम्बुलेंस से पीजीआइ के एडवांस ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए गए, वहां मौजूद सीनियर डॉक्टरों और स्टाफ ने उनकी मां को एडमिट करने से मना कर दिया।
सीनियर डॉक्टरों का कहना था कि अभी जगह नहीं है और उनकी मां ठीक हैं। अखिल ने बताया कि उनकी मां के शरीर का पिछला हिस्सा और दोनों पैर ब्लास्ट में बुरी तरह जल चुके हैं। बावजूद पीजीआइ के डॉक्टरों ने उन्हें एडमिट नहीं किया।
एडवांस ट्रामा सेंटर के बाहर तड़पती रही बुजुर्ग
पीजीआइ के एडवांस ट्रामा सेंटर (एटीसी) के सामने वाले पार्क में बुजुर्ग नसरा अपने बेटे अखिल के साथ तड़पती रही। लेकिन किसी भी डाॅक्टर और अटेंडेंट ने उनकी सुध नहीं ली। पीड़ित नसरा ने कहा उन्होंने डॉक्टरों और अटेंडेंट के सामने इलाज के लिए हाथ तक जोड़े लेकिन उनकी किसी ने सुनी। बुजुर्ग नसरा और उनके बेटे अखिल ने बताया कि एटीसी में पहुंचने के बाद उन्होंने ऊना सरकारी अस्पताल से पीजीआइ रेफर किए जाने का कार्ड तक दिखाया। लेकिन डॉक्टरों ने रेफर कार्ड तक देखने से मना कर दिया।
सिक्योरिटी गार्ड ने सेंटर से निकाला बाहर
जब पीड़ित नसरा को एटीसी में इलाज के लिए एडमिट करने से मना कर दिया। तो वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें सेंटर से जबरदस्ती बाहर निकाल दिया। बुजुर्ग ट्रामा सेंटर के बाहर जमीन पर इलाज के लिए तड़पती रही और रोती रही। आखिर में जब पीड़ित केे बेटे अखिल से देखा नहीं गया तो उसने दोबारा एम्बुलेंस से संपर्क किया और अपनी मां को वापस ऊना के सरकारी अस्पताल ले चलने को कहा।
आर्थिक तंगी की वजह से फैक्टरी में काम कर रही थी मां
पीड़ित के बेटे अखिल ने बताया कि घर में आर्थिक तंगी की वजह से उनकी मां पटाखा फैक्टरी में काम कर रही थी। उन्हें फैक्टरी में काम करते हुए सिर्फ दो महीने हुए थे। अखिल ने कहा इस हादसे से उनका पूरा परिवार अब मुसीबत से गुजर रहा है।
नहीं मिला इलाज तो शाम सात बजे ऊना वापस चले गए
पीजीआइ में दर-दर की ठोकरे खाने और डॉक्टरों के हाथ-पैर तक जोड़ने के बाद भी जब उनकी मां को इलाज के लिए एडमिट नहीं किया गया। तो अखिल अपनी मां को लेकर देर शाम सात बजे पीजीआइ से ऊना के लिए रवाना हो गया। अखिल ने कहा पीजीआइ के इस रवैये के खिलाफ वह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया को लिखित में शिकायत करेगा।