आयुष्मान योजना: पंजाब के अस्पतालों में हिमाचल के मरीजों का मुफ्त इलाज, प्रदेशवासियों को नहीं मिल रहा लाभ

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ब्यूरो – रिपोर्ट

पंजाब में पिछले कई माह से आयुष्मान योजना के तहत गरीब मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। इस कारण मरीजों व उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस योजना के तहत इलाज न करने का ठीकरा निजी अस्पताल सरकार पर फोड़ रहे हैं। सरकार व डॉक्टरों की इस जद्दोजहद में आम जनता पिस रही है व मरीज सस्ते इलाज को तरस रहे हैं।

कुछ लोगों को तो पता भी नहीं है कि इस योजना के तहत डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज बंद कर दिया है, इस कारण रोजाना मरीज योजना के तहत इलाज करवाने अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है। निजी अस्पतालों का ही नहीं, बल्कि जिले के सरकारी अस्पतालों का भी करोड़ों रुपया इस योजना के तहत बकाया है।

हैरानी की बात है कि इस योजना के तहत हिमाचल से पंजाब इलाज करवाने आने वाले मरीजों का इलाज अस्पताल कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि हिमाचल सरकार से इस योजना के तहत पैसा पंजाब के अस्पतालों को मिल रहा है। अब इसे पंजाब सरकार की अनदेखी कहें या फिर कुछ और, लेकिन पंजाब की जनता इस योजना का लाभ न मिलने से काफी परेशान है।

हालात कुछ भी हों लेकिन निजी अस्पताल इस योजना के तहत इलाज करने में बेबसी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमने तो मरीजों के इलाज पर 90 प्रतिशत रुपये खर्च कर दिए, उसमें बचना तो 10 प्रतिशत था लेकिन अस्पतालों के 100 प्रतिशत रुपये ही फंस गए हैं तो अस्पताल आगे इलाज कैसे करें?


डॉक्टरों ने कहा- बाईपास सर्जरी होगी, रिश्तेदारों से उधार लेकर करवाया इलाज 
हाल ही में हार्ट का ऑपरेशन करवाने वाली एक महिला के पति नरिन्दर पाल का कहना है कि वह एक फैक्टरी में काम करते हैं। कुछ समय पहले उनकी पत्नी को हार्ट की समस्या हुई तो डॉक्टरों ने कहा कि उनका हार्ट का बाईपास सर्जरी करनी पड़ेगी। जब आयुष्मान योजना के बारे में पूछा तो अस्पताल वालों ने कहा कि इस योजना के तहत तो अब इलाज नहीं होता है।
मरता क्या न करता, किसी तरह से रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर ऑपरेशन करवाया। काफी पैसे खर्च हो गया लेकिन अगर सरकार की इस योजना का लाभ उन्हें मिल जाता तो वह कर्जदार होने से बच जाते। सरकार को गरीबों के बारे में सोचते हुए इस योजना को दोबारा शुरू करवाना चाहिए।

निजी अस्पतालों का बकाया 258 करोड़ जारी कर सरकार: डॉ. नवजोत दहिया

इस योजना के तहत इलाज करने में आ रही परेशानी के बारे में आईएमए के पूर्व स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. नवजोत दहिया का कहना है कि निजी अस्पताल पीजीआई की तरह मरीजों का इलाज करने के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार अस्पतालों की पिछली बकाया राशि तो जारी करे।

इस योजना के तहत सरकार ने एग्रीमेंट किया था कि अस्पतालों को 2 से 3 सप्ताह में उनके पैसे मिल जाएंगे लेकिन दिसंबर 15 से अभी तक अस्पतालों को पैसे नहीं मिले हैं। अकेले जालंधर के अस्पतालों का ही करोड़ों रुपया इस योजना के तहत सरकार के पास बकाया पड़ा है।

मार्जिन तो क्या मिलना, अस्पतालों का मूल भी फंस गया: डॉ. विज 

नर्सिंग एसोसिएशन के प्रधान डॉ. राकेश विज ने कहा कि इस मुद्दे पर हमारे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला व मौजूदा चेतन सिंह जौड़ामाजरा, सचिव व अन्य अधिकारियों के साथ 15 से 16 मीटिंग हुई हैं। इनमें बस हमें दिलासा ही मिला है कि आप काम कीजिए, पैसे मिल जाएंगे।
हमें लिखित में दिया गया है कि अस्पतालों को पैसे 15 दिन के भीतर मिलेंगे, नहीं तो सरकार बकाया पैसे पर एक प्रतिशत ब्याज देगी। शहर के एक छोटे अस्पतालों ने 25 से 30 लाख रुपये से मरीजों का इलाज किया, जिसमें से दवाओं, टेस्ट लैब, स्टाफ तो अपने पैसे ले गए, पैसा अस्पतालों का फंस गया। अस्पताल तो पहले ही पैकेज के हिसाब से इलाज कर रहे थे, उसमें तो पहले ही मार्जिन काफी कम था। मार्जिन तो क्या मिलना था, अस्पतालों का मूल भी फंस गया है।

दिल तो नहीं करता लेकिन मजबूरी में वापस भेजने पड़ते हैं मरीज: डॉ. सूद

नर्सिंग एसोसिएशन के सचिव डॉ. राजीव सूद ने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत इलाज करवाने के लिए रोजना कईं मरीज आते हैं, दिल तो नहीं करता लेकिन हमें मजबूरी में उन्हें वापस भेजना पड़ता है। सरकार ने पीजीआई के तो करोड़ों रुपये रीलिज कर दिए लेकिन उन निजी अस्पतालों के रुपये भी मिलने चाहिए, जिन्होंने करोड़ों खर्च कर मरीजों का इलाज किया है।

मरीज के इलाज के अलावा अस्पताल के बड़े खर्चे होते हैं। बैंकों की किश्तें, स्टाफ का वेतन, बिजली बिल आदि देना होता है। अगर सरकार बकाया पैसा ही नहीं देगी तो हमारा काम कैसे चलेगा। हमें लगता है कि पंजाब सरकार व केंद्र सरकार की आपसी रंजिश के बीच इस योजना का पैसा रिलीज नहीं किया जा रहा, जिस कारण आम जनता पंजाब व केंद्र सरकार की आपसी खींचतान के बीच पिस रही है।

पहले ही कहा था, सरकार से पैसे लेना मुश्किल कार्य: डॉ. जौहल

जौहल अस्पताल के डॉ. बलजीत सिंह जौहल ने कहा कि जब यह योजना शुरू हुई थी तो डॉक्टरों की मीटिंग में कहा था कि इस योजना के तहत काम मत करो, सरकार से पैसे लेना मुश्किल काम है लेकिन मेरी किसी ने नहीं मानी। पहले भी भाई कन्हैया स्कीम के तहत इलाज करके अपने 7 से 8 लाख रुपये फंसा चुका हूं। केस किया हुआ है, वह रुपये अभी तक नहीं मिले। इसके बाद तो सरकार की किसी योजना के तहत इलाज करने से तौबा कर ली थी। इसके चलते ही आयुष्मान योजना को लिया ही नहीं था, इसलिए बच गया।

आयुष्मान योजना की जरूरत नहीं, मोहल्ला क्लीनिक में ठीक होंगे मरीज: मान

केंद्र की आयुष्मान योजना को नकारते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में दावा किया कि अगले साल से पंजाब में आयुष्मान योजना की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा खोले जा रहे मोहल्ला क्लीनिकों में ही मरीज ठीक होंगे। गौरतलब है कि आयुष्मान स्वास्थ्य योजना केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त खर्च पर चलाई जाती है, जिसमें मरीज को पांच लाख तक का कैशलेस इलाज मिलता है।

पिछले दिनों इस योजना में पंजाब सरकार की ओर से अपना हिस्सा डालने में हुई देरी से विवाद खड़ा हो गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली और बंगाल में सभी को मुफ्त इलाज मिलता है, जबकि असम में केवल विशेष श्रेणी के लोगों को मुफ्त इलाज मिलता है। पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले आप ने दिल्ली की तर्ज पर मोहल्ला क्लीनिक बनाने का वादा किया था, जिसमें लोगों का मुफ्त इलाज किया जाएगा।

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