चंडीगढ़ – व्यूरो रिपोर्ट
पंजाब में अलगाववादी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख, खालिस्तान समर्थक और अजनाला थाने पर हमले के आरोपी अमृतपाल सिंह और अनेक साथियों के गत शनिवार को पुलिस कार्रवाई के दौरान बच निकलने के बाद इन्हें पकड़ने के लिए बड़े पैमान पर शुरू किया गया राज्यव्यापी अभियान सोमवार तीसरे दिन भी जारी रहा।
इस बीच, पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते अमृतपाल के चालक हरप्रीत सिंह और चाचा हरजीत सिंह ने आज जालंधर में आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं इस तरह की सूचनाएं हैं कि अमृतपाल, उसके चाचा तथा चालक के खिलाफ सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने की तैयारी में है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस को अमृतपाल को पकड़ने में आज शाम तक सफलता मिल सकती है। इस बीच, राज्य सरकार ने माहौल बिगड़ने की आशंका जनहित में राज्य में मोबाईल इंटरनेट, एसएमएस और डोंगल सेवाओं पर पाबंदी अब 21 मार्च दोपहर 12 बजे तक बढ़ा दी है। अलबत्ता बैंकिंग और मोबाइल रिचार्ज को इन पाबंदियों से मुक्त रखा गया है।
वहीं अमृतपाल के परिजनों का दावा है कि पुलिस उसे गिरफ्तार कर चुकी है और अवैध रूप से हिरासत में रखे हुए है, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया है। वह युवाओं को अमृतपान करा कर धर्म के साथ जोड़ने और इसका प्रचार करने के लिए काम कर रहा है।
इस बीच, बठिंडा निवासी और वारिस पंजाब दे संगठन के कानूनी सलाहकार होने का दावा करने वाले इमरान सिंह ने यहां पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में रविवार को याचिका दाखिल कर कहा है कि अमृतपाल को गत 18 मार्च को ही गिरफ्तार कर पुलिस उसे अज्ञात स्थान पर रखे हुए है।
उसके मुवकिल की जान को खतरा है तथा उसे सुरक्षित छोड़ने के निर्देश जारी जाएं। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार और अन्य सम्बंधित पक्षों को नोटिस जारी किए हैं।
अमृतपाल और उसके साथियों पर गत रविवार को तीन और मामले दर्ज किए गए। पहला मामला उसकी गाड़ी से बरामद अवैध हथियारों की बरामदगी, दूसरा मामला जालंधर में अवरोधक तोड़ने तथा पुलिस से हिंसक झड़प को लेकर तथा तीसरा मामला तीसरा मामला अमृतसर में गिरफ्तार सात साथियों से बरामद हथियारों को लेकर दर्ज किया गया है।
पुलिस ने रविवार को अमृतपाल की गाड़ी से .315 बोर की एक रायफल, तलवार, वॉकी टॉकी और 57 कारतूस बरामद किए थे। पुलिस की अनेक टीमें भगोड़े अमृतपाल और उसके साथियों को पकड़ने के लिए अलग-अलग जगहों पर दबिश दे रही हैं।
इससे पहले पुलिस की अमृतपाल के खिलाफ गत शनिवार को की गई कार्रवाई में उसके सात साथियों गुरवीर सिंह, हरमिंदर सिंह, अजयपाल सिंह, बलजिंदर सिंह, गुरलाल सिंह, सवरीत सिंह और अमनदीप सिंह को हिरासत में ले लिया गया था, लेकिन इस दौरान अमृतपाल अपने कुछ अन्य साथियों के साथ चकमा देकर फरार हो गया। पुलिस की अनेक टीमें उसका पीछा कर रही थीं।
अमृतपाल के सातों समर्थक रविवार को अदालत में पेश किये जाने के बाद 23 मार्च तक पुलिस रिमांड पर हैं। इनके कब्जे से 12 बोर की छह अवैध रायफल, .315 बोर की एक लाईसेंसी रिवॉल्वर, .32 बोर की एक रिवॉल्वर और 322 कारतूस बरामद हुये थे। आरोप है कि ये हथियार अमृतपाल और उसके एक साथी गुरभेज सिंह ने मुहैया कराये थे।
करीब दस साल तक दुबाई में रहे अमृतपाल के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तथा कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका में अत्यधिक सक्रिय प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के साथ लिंक होने का भी पुलिस ने दावा किया है।
वह बीकेआई का हैंडलर बन कर 2022 में भारत लौटा और दिवंगत अलगाववादी दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे‘ की कमान सम्भाल ली। वह आईएसआई की मदद से आनंदपुर खालसा फोर्स(एकेएफ) का भी कथित तौर पर गठन कर रहा था।
उसकी गाड़ी तथा उसके साथियों से बरामद हथियारों तथा जल्लूखेड़ा गांव स्थित घर से एकेएफ प्रिंटेड जैकेटों की बरामदी इसकी पुष्टि करती है। इससे यह भी साफ है कि वह एक हथियारबंद फोर्स के गठन की तैयारी में था जो राज्य में फिर से आतंकवाद के काले दौर की ओर ले जाने का कुत्सित षडयंत्र की ओर संकेत करता है।
पुलिस, अमृतपाल के फाईनेंसर दलजीत सिंह कलसी को भी गुरूग्राम से गिरफ्तार कर चुकी है। उसे गत लगभग दो वर्षों के दौरान करोड़ों रुपये विदेशों में मिलने का खुलासा हुआ है। उसके पाकिस्तान समेत अन्य देशों में बैठे लोगों से बातचीत के इनपुट भी प्राप्त हुए हैं।
कलसी तथा भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह तथा एक अन्य को पुलिस अमृतसर हवाई अड्डे से रविवार को असम ले गई जहां इन्हें डिब्रूगढ़ सैंट्रल जेल रखा गया है तथा इनसे इनके नेटवर्क और साथियों का पता लगाने के लिए पूछताछ की जा रही है।
पुलिस का कहना है कि अमृतपाल और उसके साथियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस इस दिशा में एक व्यापक रणनीति के तहत काम रही है। इस काम में राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियां जुटी हुई हैं। अमृतपाल के 112 समर्थक अब तक पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें से 78 को शनिवार और 34 को रविवार को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस टीमों की अन्य जिलों में भी उसके समर्थकों पर इसी तरह की कार्रवाई जा रही है। पुलिस अनेक वीडियो फुटेज कब्जे में लेकर राज्य में हथियारों और आपत्तिजनक बयानबाजी कर भय का माहौल बनाने वालाें की शिनाख्त कर रही है। राज्य सरकार और केंद्र की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद पुलिस अब ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई करने और अंज़ाम तक पहुंचाने का मन बना चुकी है।
वहीं आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में स्थिति नियंत्रण में है। उसने लोगों से झूठी खबरों और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने तथा शांति एवं सद्भाव बनाए रखने में पुलिस का सहयोग करने की अपील की है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि राज्य में अशांति फैलाने, भ्रामक सूचनाएं फैलाने, भड़काऊ भाषण देने वालों से कड़ाई निपटा जाएगा।
प्रवक्ता ने सभी नागरिकों, मीडिया कर्मियों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म से भी अनुरोध किया है कि वे जि़म्मेदारी के साथ काम करें और कोई भी जानकारी साझा करने से पूर्व इसकी प्रमाणिकता ही बारीकी से पड़ताल अवश्य कर लें।
वहीं अमृतसर, फाजिल्का, मोगा, बठिंडा, मुक्तसर, संगरूर, गुरदासपुर, एसएएस नगर(मोहाली), लुधियाना और जालंधर समेत कई जिलों में निषेधाज्ञा लागू है। इन जिलों साथ अन्य संवेदनशील स्थानों पर पुलिस और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) तथा अन्य अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती की गई है। लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिये पुलिस और सुरक्षा बलों ने इन जिलों और मुख्य बाजारों में आज भी फ्लैग मार्च किया।
पुलिस अमृतपाल की पंजाब में ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी उसकी लोकेशन का पता लगा रही है। इस काम में खुफिया तंत्र भी अलर्ट पर है। पंजाब की पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के साथ लगती सीमाएं सील कर दी गई हैं और पुलिस अधिकारी इन राज्यों के अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ सम्पर्क में हैं।
राज्य में सभी निकासी मार्गों पर नाकेबंदी की गई है तथा वाहनों की तलाशी ली जा रही है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय भी पंजाब की स्थिति पर नज़र रखे हुये है और राज्य सरकार से इस बारे में जानकारी ले रहा है।
अमृतपाल और उसके समर्थकों ने अपने करीबी लवप्रीत सिंह की पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी पर अमृतपाल ने 23 फरवरी को अपने हजारों समर्थकों के साथ गुरू ग्रंथ साहिब की आड़ लेकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था। इस घटना में अनेक पुलिसकर्मी गम्भीर रूप से घायल हो गये थे।
बाद सरकार को लवप्रीत को रिहा करने के लिये झुकना पड़ा था। इस घटना के बाद से पुलिस और सरकार की जहां भारी किरकिरी हो रही थी वहीं इनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया था। अनेक राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने अमृतपाल के इस कृत्य की भर्त्सना की थी।