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हिमखबर डेस्क

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हिमाचल प्रदेश में लोक गाथाओं और प्रेम कहानियों के किस्से अक्सर आपने अपनी दादी और अम्मा से सुने होंगे। हिमखबर के जरिये भी हम आपको हिमाचल के प्रेमी कहानियों से रूबरू करवा रहे हैं। वेलेटाइन-डे के मद्देनजर अब इसी कड़ी में हम आपको हिमाचल प्रदेश के ग्वाले और पालकी में सवार एक दुल्हन की प्रेम कहानी बताने जा रहे हैं। यह कहानी हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा में कार्यरत एसडीएम सलीम आज़म ने लिखी है और इसे साहित्यकार पंकज दर्शी ने संपादित किया है।

कहानी हिमाचल प्रदेश जिला काँगड़ा जिले के थुरल तहसील से जुड़ी है। थुरल इलाका किसी समय निर्जन, वीरान एवं चंगर इलाका था। यह न्युगल खड (व्यास नदी की सहायक नदी) के किनारे बसा हुआ है। इसी कस्बे से दूर एक ग्वाल टिल्ला नामक स्थान है, जहाँ की एक प्रेम कथा या प्रेम-प्रसंग है।

ग्वाल-टिल्ला ढाँक पर स्थित चरागाह थी और यहां अक्सर पास के गांव के ग्वालू (पशुओं को चराने वाले) लोग अपने पशुओं को लेकर रोजाना सुबह से शाम तक चराते थे इसलिए यह चरागाह ग्वाल-टिल्ला के नाम से मशहूर हो गई थी। पुराने समय में सडकें नहीं होती थीं तो लोग अक्सर रास्ते एवं पगडंडियों का प्रयोग आने-जाने के लिए करते थे। विवाह में भी दूल्हा-दुल्हन को पालकी में बिठा कर ही कहार यहां से लेकर जाते थे।

पालमपुर से गई थी बारात 

बहुत समय पहले एक बारात पालमपुर से सुजानपुर गई थी। रास्ते में जब दुल्हन को लेकर बाराती पालमपुर लौट रहे थे तो ग्वाल-टिल्ला की चढ़ाई चढ़ कर एक बरगद के पेड़ के नीचे बाराती आराम करने बैठ गए। दुल्हुन की पालकी से भी एक तरफ से पर्दा हटा गया। इस दौरान दुल्हन की सहेलियां आपस में बातचीत करती रहीं। वहीं, कुछ दूरी पर एक ग्वालू (चरवाहा) यह सब कुछ देख रहा था।

25 साल के नौजवान ने जैसे ही दुल्हन को देखा तो एक दम वोल पड़ा- “आर जराड़ी, पार जराड़ी, लाल झुंडे वाली, मेरी लाड़ी”। यानी झाड़ियों लाल घुघंट में बैठी मेरी दुल्हन।  ग्वाला दुल्हन की तरफ लगातार देखते हुए बोलते-बोलते आगे बढ़ रहा था।

दुल्हन की सहेलियों ने जब ये सुना तो हक्का-बक्का रह गईं और पूरी बारात में खलबली मच गई कि इस दौरान कुछ बुजुर्गों ने भी ग्वालू को समझाया लेकिन वह नहीं माना। अचानकर एक बाराती ने मजाक में उससे कहा कि अगर तू इतना ही प्रेम इस दुल्हन से करता है ढांक से छलांग लगा दे बच गया तो दुल्हन तेरी होगी।  यह घाटी 300-400 फीट गहरी थी।

एक ही चिता पर जली दोनों की देह

इस पर ग्वालू ने भी आव देखा ना ताव और दौड़ते हुए पहाड़ी से कूद गया और उसकी मौत हो गई। यह देखकर पूरी बारात हक्की-बक्का रह गई। इस बीच फिर बाराती दुल्हन की डोली उठाने लगे तो उसने कहारों को रोक दिया। साथ ही कहा कि “अब में आगे नहीं जा पाउंगी।

दुल्हन ने कहा कि जो व्यक्ति मुझे जानता भी ना था एक झलक देख कर मेरे प्यार में आकर मेरे लिए अपनी जान दे सकता है तो अब आगे की जिन्दगी मेरे लिए जीना मुश्किल है। सहेलियों ने भी समझाया, लेकिन दुल्हन नहीं मानी और कहा कि वह भी इसकी चिता के साथ ही में सत्ती होना चाहती है।

इस बीच, दुल्हन पालकी से निकली और ढाक से छलांग लगा दी। खाई में दोनों प्रेमियों के शरीर उस ढाँक के नीचे निर्जीव पड़े थे। बाद में दोनों प्रेमियों को एक ही चिता में जलाया गया। आज हर कोई ग्वाल-टिल्ले के बारे में जानता है और लोग अक्सर वहां जाते हैं और अनजान प्रेमियों के नाम पूजा-अर्चना करतें हैं।

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