OPS vs कॉरपोरेट सेक्टर

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चम्बा – भूषण गुरुंग

13 जनवरी 2022 का ऐतिहासिक दिन कर्मचारियों के लिए हमेशा याद रहने वाला अध्याय छोड़ के गया है। प्रदेश का सरकारी कर्मचारी हमेशा इसे याद रखेगा क्योंकि इसी दिन कर्मचारियों की लंबित मांग को वर्तमान की सुक्खू सरकार ने मानते हुए OPS को लागू करने की घोषणा की और अब पुरानी पेंशन को लागू भी कर दिया। पुरानी पेंशन सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर और सुरक्षित विकल्प है।

OPS बहाली की घोषणा करने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पांचवां राज्य बन गया है। पुरानी पेंशन की मांग को स्वीकारते हुए लगभग डेढ़ लाख कर्मचारियों को बुढापे का सहारा देकर इतिहास रचा है। विधानसभा चुनाव के दौरान OPS को बहाल करना वर्तमान सरकार की दस मे से एक गारंटी थी और इसी गारंटी ने सरकार को सत्ता मे आने के लिए फायदा भी दिया।

प्रदेश का ऐसा सौभाग्य है कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने जो वादा किया था वो सत्ता मे आने के बाद पूरा भी किया। प्रदेश के लाखो कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली के लिए 2015 से लगातार संघर्षरत थे तथा अब 1अप्रैल से उनको इसका लाभ मिलना शुरू भी हो जाएगा।

जिस प्रदेश का मुखिया अपनी कार्यशैली से अपने लोगो के जीवन की खुशहाली के लिए योजनाओ को धरातल पर उतारता है तब उस प्रदेश के सुखद भविष्य को कोई नकार नही सकता। कर्मचारी किसी भी सरकार की रीढ़ होते है। उन्ही के कठिन परिश्रम और सहयोग से राज्य सरकार अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को सही दिशा मे क्रियान्वित कर सकती है।

कर्मचारियों का स्वाभिमान लौटाने तथा सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुरानी पेंशन योजना पर ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। प्रदेश के संसाधन सीमित होने के बाद भी मुख्यमंत्री सुक्खू ने यह फैसला लिया जिसका अनुसरण अब दूसरे प्रदेश भी करेंगे जिनके संसाधन हमसे बेहतर है।

वर्ष 2003 से सेवानिवृति के पश्चात कर्मचारियों की स्थिति दयनीय बनती जा रही थी। चंद रुपए जो पेंशन के रूप में मिलते थे उससे घर खर्च चलाने के लाले पड़ जाते थे। इसी स्थिति को भांपते हुए कर्मचारियों ने एकजुटता का रास्ता अपनाया और संघर्ष किया तथा प्रदेश के मुखिया ने OPS रूपी फल प्रदेशवासियों को प्रदान किया।

आंदोलन के समय में भी हिमाचल के बोर्ड और कारपोरेट सेक्टर के कर्मचारियों ने भी बढ़ चढ़ कर सहयोग दिया और धर्मशाला आभार रैली में भी अपना समर्थन दिया लगातार कई वर्ष मेहनत करने के बाद एक व्यक्ति कर्मचारी चयन आयोग या लोक सेवा आयोग से चयनित होकर नौकरी मे आता है।

चयन आयोग उनको विभागो मे या बोर्ड या कॉर्पोरेशन मे नियुक्ति देता है। प्रदेश के इतिहास का काला सच यह भी है कि प्लेसमेंट अगर विभागो में होती है तो आज उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा, पेंशन उनके बुढापे का सहारा बनेगी और जिंदगी के आखिरी मुकाम मे उनको ठोकरे नही खानी पड़ेंगी।

लेकिन अगर बिजली बोर्ड, HRTC और शिक्षा बोर्ड में भी होती है तब भी पेंशन मिलेगी लेकिन इसके इलावा भी 15 से 20 ऐसे बोर्ड व कॉर्पोरेशन तथा सहकारी विपणन संघ है जो पेंशन से वंचित है जिनमें कर्मचारियों की संख्या लगभग 10000 के करीब है तथा लगातार यह संख्या कम होती जा रही है ।

इन संगठनों मे कार्यरत कर्मचारी समझ ही नही पा रहा है के वह क्या सरकारी कर्मचारी है ,कोई धनासेठो का कर्मचारी है या प्राइवेट कर्मचारी है ।सरकार ने खुद के बनाए हुए इन संगठनों के प्रति कभी गंभीरता से नहीं सोचा।इन कर्मचारियों को “कर्मचारी भविष्य निधि” ईपीएफओ में रखकर उनका मानसिक शोषण हो रहा है।

कई बार इन कर्मचारियों ने अपनी मांग रखी लेकिन भूतकाल की सरकारों ने ध्यान देने की तकल्लूफ नही उठाई और न तो इनकी यूनियने इतनी मजबूत हैं कि अपनी जायज बात मनवाने के लिए सरकार को विवश कर दे। मुख्यमंत्री ने चुनाव से पूर्व यह विश्वास दिलाया था कि सत्ता में आने के बाद वह सभी बोर्ड व कॉर्पोरेशन को पेंशन के दायरे में ले कर आएंगे लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

इन बोर्ड व कॉर्पोरेशन मे 10,000 के करीब कर्मचारी अपने विभाग में कर्मचारियों की समस्या से जूझने के बावजूद 2 से 3 कर्मचारियों का काम अकेले कर रहे है। पूरी उम्र पढ़ाई करके तथा सरकारी नौकरी हासिल करके भी वह पेंशन से वंचित है तथा सरकारी सेवा में आने के बाद भी वह खुद को ठगा सा महसूस करते है।

सरकार की हर योजनाओ तथा प्रत्येक कार्य में वह अपना पूरा सहयोग देते है। सरकार के सारे नियम यहाँ लागू किए जाते है लेकिन पेंशन के वक्त उनसे सौतेला व्यवहार किया जाता है तथा सरकार उनसे पल्ला झाड़ लेती है।इस का दर्द उन कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद देखो जो दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है तथा सेवानिवृति के बाद सम्मानजनक जीवन नही जी पा रहे है।

आज प्रदेश के लाखों कर्मचारी अपने उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे है लेकिन कर्मचारियों का यह तबका आज भी निराशा में है। कारपोरेट सेक्टर को सेवानिवृति के बाद पेंशन लाभ न देकर उनका मजाक ही बना है तथा जीवन के अंतिम पड़ाव में उन कर्मचारियों को ठोकर खाने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने सेवा के दौरान प्रदेश की समृद्धि मे जीवन का अहम समय कुर्बान किया है।

राजस्थान की गहलोत सरकार इस दिशा में एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचकर इतिहास रचने वाली है तथा 15 जून तक जीपीएफ लिंक पेंशन योजना लागू करके पेंशन निधि का गठन कर रही है जिसको लेकर वित्त विभाग ने दिशा निर्देश जारी भी कर दिए है।

वर्तमान की सुक्खू सरकार से इन कर्मचारियों को काफी आशाएं है तथा उनको पूर्ण विश्वास है कि वर्तमान सरकार उनकी आशाओं पर खरा उतरेगी। मुख्यमंत्री जी घोषणाए तो कर रहे है की सभी को पेंशन के दायरे में लेकर आएंगे लेकिन धरातल पर कोई काम बनता दिख नही रहा है ।

मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि चाहे सरकार या सरकार का संगठन जिसमे ताउम्र सेवा की है वाजिब पेंशन लगाए ताकी उन सीनियर सिटीजन की गरिमा बनी रहे तथा सरकार का कहना सही भी लगे कि हमने पेंशन सही मायने में बहाल कर दी है

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