NHAI की वजह से शिमला में गिरा था 5 मंजिला भवन, अब कंपनी को घर मालिक को देना होगा 5.61 करोड़ रुपये मुआवजा

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शिमला – नितिश पठानियां

हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर के भट्टाकुफर में फोरलेन के निर्माण के चलते एक पांच मंजिला भवन गिर गया था। इस मामले में कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह और नेशनल हाईवे अथॉरिटी के मैनेजर के बीच विवाद भी हो गया था और सरकार ने पूरे मामले को लेकर जांच कमेटी बनाई थी। अब इस कमेटी ने घर मालिक को 5 करोड़ 61 लाख 92 हजार 048 रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश की है।

डीसी शिमला ने अनुपम कश्यप ने जांच रिपोर्ट आने के बाद निर्देश दिए कि एनएचएआई के अधीन फोरलेन परियोजना में कार्यरत निर्माण कंपनी घर गिरने के चलते 5 करोड़ 61 लाख 92 हजार 048 रुपये की राशि का भुगतान करे और यह सारा मुआवजा प्रभावित परिवार को बिना किसी विलम्ब के भुगतान किया जाए। साथ ही कहा कि इस मामले को अत्यंत तत्परता से निपटाएं तथा यथाशीघ्र की गई कार्रवाई की पुष्टि करते हुए उपायुक्त कार्यालय को सूचित करें।

दरअसल, 30 जून 2025 को शिमला के ढली के भट्टाकुफर में माथु कॉलोनी में श्रेया, शौर्य और रंजना का बहुमंजिला भवन भूस्खलन की चपेट में आकर गिर गया था। इसके बाद उपायुक्त ने 04 जुलाई, 2025 को एडीएम (लॉ एंड आर्डर) पंकज शर्मा की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी।

इस समिति ने 18 जुलाई, 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके मुताबिक भट्टाकुफ्फर में गिरी हुई इमारत को हुए नुकसान का कुल मूल्यांकन 2 करोड़ 80 लाख 96 हजार 024 रुपए आंका गया। इसमें भूमि की कीमत 57 लाख 40 हजार 100 रूपये और संरचना का शुद्ध मूल्य 1 करोड़ 65 लाख 17,336 रुपये आंका गया। इसके साथ ही अन्य चीजों की लागत के अनुसार 58 लाख 38 हजार 588 रुपये आंकी गई।

समिति ने भवन गिरने के कारणों को लेकर भी रिपोर्ट दी है। समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, फोरलेन के निर्माण के लिए पहाड़ी की कटाई के कारण क्षेत्र में क्षति हुई है। इस वजह से भवन के मालिकों (श्रेया, शौर्य और रंजना) ने अपना घर खो दिया है। इससे प्रभावित परिवार को काफी संकट और कठिनाई हो रही है।

जल्दी मुआवजा जारी किया जाए

समिति की रिपोर्ट के बाद उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा है कि प्रभावितों को हुए भारी नुकसान के चलते यह जरूरी है कि मुआवजे की राशि का जल्द भुगतान किया जाए। साथ ही भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 30 में निहित प्रावधानों के अनुसार अधिग्रहण के दौरान भुगतान किए गए क्षतिपूर्ति के साथ भुगतान किया जाए।

इसके साथ प्रभावित परिवार को बिना किसी देरी के भुगतान करने के लिए मुआवजे की राशि पर 100 फीसदी क्षतिपूर्ति देने के मानदंड सुनिश्चित किए जाएं. मुआवजे के समय पर भुगतान न केवल परिवार को तत्काल राहत प्रदान करेगा, बल्कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के दौरान प्रभावित व्यक्तियों के कल्याण और अधिकारों को बनाए रखने के लिए सभी शामिल एजेंसियों की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगा।

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