हिमखबर डेस्क
यह कहानी है एक महिला आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज की है। वह हिमाचल कैडर की 2018 बैच की आईपीएस अफसर हैं। वह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के बददी के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं, लेकिन इसी बीच स्थानीय विधायक राम कुमार चौधरी से टकराव के कारण वह लंबी छुट्टी पर चली गई हैं। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले इल्मा अफरोज ने विधायक के पत्नी की गाड़ी का चालान काट दिया था, जिसको लेकर दोनों में तनातनी हो गई थी।
मामला विधानसभा तक पहुंच गया, जिसके बाद इल्मा अफरोज को अवकाश पर भेज दिया गया हालांकि इस मामले में विधायक राम कुमार चौधरी ने भी अपनी सफाई दी है और कहा कि एसपी बद्दी का छुट्टी जाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और ना ही वह किसी अफसर को छुट्टी पर भेज सकते हैं। यह मामला गृह विभाग व मुख्यमंत्री के अधीन आता है और एक अफसर निजी कारणों से छुट्टी जाने के मामले को उछलना ओछी हरकत है। बहरहाल यह मामला काफी सुर्खियों में है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि इल्मा अफरोज कैसे आईपीएस बनी थीं?
मुरादाबाद की रहने वाली हैं इल्मा
इल्मा अफरोज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे की रहने वाली हैं। इल्मा अफरोज का बचपन काफी कठिनाइयों में बीता। उन्होंने काफी संघर्ष किया। महज 14 वर्ष की उम्र में उनके पिता की कैंसर के कारण मौत हो गई।उनके पिता खेती-बाड़ी करते थे, ऐसे में आजीविका का कोई विशेष साधन नहीं था। घर में मां और उनका 12 वर्षीय भाई ही थे, मां ने कठिन परिस्थितियों में दोनों बच्चों को पाला-पोसा। एक इंटरव्यू में इल्मा ने बताया था कि इस दौरान उन्हें भी गांव में खेती करनी पड़ी।
दिल्ली से किया ग्रेजुएशन
इल्मा अफरोज ने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई जैसे-तैसे मुरादाबाद से की, उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया। इल्मा यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दम पर स्कॉलरशिप हासिल की और उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं। यहां से वह अपनी पढ़ाई के दौरान एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पेरिस भी गईं और फिर न्यूयॉर्क में भी कई गतिविधियों में हिस्सा लिया।
यूपी के मुरादाबाद के कुंदरकी कस्बे से निकलकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क तक का सफर तय करने वाली इल्मा अफरोज ने विदेश में नौकरी का ऑफर छोड़ कर देश सेवा को चुना था। इल्मा की हायर स्टडीज स्कॉलरशिप्स के माध्यम से हुई है। सेंट स्टीफेंस के बाद इल्मा को मास्टर्स के लिए ऑक्सफोर्ड जाने का अवसर मिला।
विदेश में डिग्री पूरी करने के बाद इल्मा एक वॉलेंटियर प्रोग्राम में शामिल होने पर न्यूयॉर्क गई। जहां उन्हें Financial Estate कंपनी में बढ़िया नौकरी का ऑफर मिला। इल्मा चाहती तो यह ऑफर ले लेती और विदेश में ही बस जाती, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। न्यूयॉर्क से वापस आने के बाद इल्मा के मन में यूपीएससी का ख्याल आया।
इल्मा जब गांव वापस आती थी, तो गांव के लोगों की आंखों में एक अलग ही चमक होती थी। उन्हें लगता था बेटी विलायत से पढ़कर आई है, अब तो सारी समस्याएं खत्म कर देगी। किसी का राशन कार्ड बनना है तो किसी को किसी सरकारी योजना का लाभ लेना है। हर कोई इल्मा के पास आस लेकर आता था। इल्मा को भी लगा की यूपीएससी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके द्वारा वे अपना देश सेवा का सपना साकार कर सकती हैं।
लौट आईं भारत, बनी आईपीएस
विदेश में पढ़ाई के बाद इल्मा अफरोज को वहां नौकरी के भी ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने भारत वापस लौटने का फैसला किया और वह वापस भारत आ गईं। यहां आकर उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की और आखिरकार वर्ष 2017 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर ली।
इल्मा ने साल 2017 में 217वीं रैंक के साथ 26 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। जब सर्विस चुनने की बारी आई तो उन्होंने आईपीएस चुना। बोर्ड ने पूछा भारतीय विदेश सेवा क्यों नहीं तो इल्मा बोली, नहीं सर मुझे अपनी जड़ों को सींचना है, अपने देश के लिए ही काम करना है।
इल्मा अफरोज का अपनी नौकरी के दौरान कई नेताओं और माफियाओं से सामना हुआ, जिसको लेकर अक्सर वह चर्चा में रहती हैं। बता दे कि हिमाचल प्रदेश में प्रोबेशनर व ट्रेनिंग पीरियड के दौरान भी वो अपना दायित्व बखूबी निभाती रही। मंडी में यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को मार्गदर्शन में भी भूमिका निभाई। पहली बार प्रोबेशनर डीएसपी (DSP) के तौर पर ऊना के अंब में पारी शुरू की थी।