सिरमौर – नरेश कुमार राधे
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर गौवंश के अवशेष मिलने के मामले में पुलिस जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह मामला महज संयोग नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका मकसद ईद के अवसर पर हिंदू-मुस्लिम सौहार्द्र को बिगाड़ना था। पुलिस की जांच में यह साफ हुआ है कि अवशेष जानबूझकर ऐसे स्थान पर फेंके गए, जहां से धार्मिक भावनाएं भड़क सकती थीं और दोनों समुदायों के बीच तनाव पैदा किया जा सकता था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके तहत बीएनएस की धारा 196(1) को भी शामिल किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस घटना के पीछे कोई गहरी साजिश रची गई थी।
हिमाचल पुलिस ने अब तक दो व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य कुछ लोगों की तलाश जारी है। शुरुआती जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि इस मामले में बाहरी तत्वों का भी हाथ हो सकता है, जो प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की मंशा रखते थे।
इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने गुस्सा जरूर जाहिर किया, लेकिन उन्होंने शांति और भाईचारे का परिचय दिया। संगठनों ने सिर्फ अपराधियों को पकड़ने और सख्त सजा देने की मांग की, लेकिन किसी भी तरह का उग्र प्रदर्शन नहीं किया। केवल हाईवे पर ही प्रदर्शन किया।
पुलिस प्रशासन ने लगातार तीन दिन तक हिंदू संगठनों से संवाद बनाए रखा, ताकि इलाके में किसी भी तरह की अफवाह या हिंसा की स्थिति उत्पन्न न हो। पुलिस की इस सक्रियता के चलते क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई।
इस पूरे मामले पर पांवटा साहिब के उप पुलिस अधीक्षक मानवेन्द्र ठाकुर ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जनता से शांति बनाए रखने और पुलिस के साथ सहयोग करने की अपील की।
साथ ही, उन्होंने लोगों को अफवाहों से बचने और किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देने का आग्रह किया। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड पुलिस ने गैंग के आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये जानकारी खुद देहरादून के पुलिस अधीक्षक ने पांवटा साहिब में एक जॉइंट प्रेस कांफ्रेंस में दी।
समाज को तोड़ने की कोशिश नाकाम
यह घटना साफ संकेत देती है कि कुछ असामाजिक तत्व समाज में नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन और समाज की सतर्कता ने इस साजिश को विफल कर दिया। पुलिस द्वारा जल्द कार्रवाई करने और हिंदू संगठनों के शांतिपूर्ण रवैये से यह स्पष्ट हो गया कि हिमाचल प्रदेश में सौहार्द्र और भाईचारा ही सबसे बड़ा धर्म है।
अब देखना होगा कि आगे की जांच में कौन-कौन से नए खुलासे होते हैं और क्या इस साजिश के पीछे कोई बड़ी साजिशकर्ता ताकतें काम कर रही थीं। पुलिस की जांच जारी है और जल्द ही इस मामले में और भी महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं।
196 (1) के मायने
जो कोई भी धर्म, जाति, भाषा, निवास स्थान या समुदाय के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य, घृणा या द्वेष फैलाने का प्रयास करता है, या ऐसा कोई कार्य करता है जो सामाजिक सद्भाव और सार्वजनिक शांति को बाधित कर सकता है, उसे तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यदि यह अपराध किसी पूजा स्थल या धार्मिक सभा के दौरान किया जाता है, तो सजा पांच साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।