शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने का भव्य उत्सव मना रहा है। इस खास मौके पर सोलन जिले के अर्की के रहने वाले मनीष ने HRTC को एक अनोखा तोहफा दिया है, जिसने हर किसी का दिल जीत लिया है।
मनीष सालों से निगम की बसों के मॉडल बनाने में माहिर हैं। इस बार मनीष ने 2001 मॉडल की बस को रिमोट संचालित कर दिखाया है। उनका यह मॉडल अपनी बारीकी और नफासत के लिए खूब सराहा जा रहा है। इसका वीडियो भी बेहद दिलकश है।
HRTC की बसें हरेक दिन 6 लाख किलोमीटर का सफर तय करती हैं, बसों ने हरेक हिमाचली के दिल में एक खास जगह बनाई हैं। उत्तरी भारत में HRTC की बसें अपनी पहुंच और विश्वसनीयता के लिए मशहूर हैं।
मनीष द्वारा बनाया गया यह मॉडल न केवल उनकी कलात्मकता को दर्शाता है बल्कि उनकी तकनीकी दक्षता को भी साबित करता है। खास मॉडल को बनाने में मनीष ने लगभग 10 से 15 हजार रुपए का खर्च किया, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से जुटाया।

साधारण मैकेनिक की असाधारण सोच
मनीष ने आईटीआई से इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक ट्रेड का प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वर्तमान में बीबीएन में एक निजी उद्योग में काम कर रहे हैं। दसवीं की पढ़ाई आर्थिक कारणों से बीच में छूट जाने के बाद उन्होंने ओपन स्कूल से दसवीं पूरी की। इसके बाद अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन की आईटीआई दाड़लाघाट से दो साल का इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक ट्रेड का कोर्स किया। नौकरी से मिलने वाले वेतन का एक बड़ा हिस्सा वह अपने शौक पर खर्च करते हैं, खासतौर पर निगम की बसों के मॉडल बनाने पर। मनीष के अनुसार, यह उनका जुनून है जो उन्हें हमेशा कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है।
तकनीकी कला में अद्भुत प्रतिभा
मनीष को बसों और ट्रकों के मॉडल बनाने की गहरी समझ है, लेकिन उनकी प्रतिभा केवल यहीं तक सीमित नहीं है। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक होम सिस्टम, ऑटोमेटिक सोलर स्ट्रीट लाइट, फाउंटेन और ऑटोमेटिक वाटर स्टोरेज टैंक के मॉडल बनाने में भी महारत हासिल है। मनीष की कृति इतनी सजीव लगती हैं कि देखने वाले दंग रह जाते हैं। तकनीकी उपकरणों के मॉडल में उनकी बारीकी और वास्तविकता से मेल खाते हुए डिजाइन की कला ने उन्हें खास बना दिया है।
HRTC से है भावनात्मक जुड़ाव
मनीष का HRTC से भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि ये बसें हिमाचल के हर कोने तक लोगों को जोड़ती हैं और इस तरह हर हिमाचली के जीवन में उनकी एक अहम जगह है। मनीष का कहना है कि यदि हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम प्रबंधन उनके मॉडल को लेना चाहे, तो वे इसे देने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि निर्माण में आया खर्च वहन किया जाए। मनीष अब महंगे मॉडल बनाना नहीं चाहते और कम लागत वाले मॉडल बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं ताकि यह जुनून उनके बजट के भीतर रहे।
बड़ी डिग्री की नहीं, जुनून की जरूरत
मनीष की कहानी साबित करती है कि तकनीक विकसित करने के लिए हमेशा बड़ी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है केवल जुनून और लगन की। मनीष का कहना है कि यदि राज्य सरकार उनके जैसे लोगों को प्रोत्साहन दें, तो न केवल वे राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रौशन कर सकते हैं।
निगम की बसों के मॉडल से शुरुआत करने वाले मनीष अब अपनी कला को और निखार रहे हैं। उनकी यह अद्वितीय कला न केवल हिमाचल में बल्कि अन्य स्थानों पर भी सराही जा रही है। हिमाचल के युवा मनीष ने यह दिखा दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद किस तरह से बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा किया जा सकता है। बता दे कि करीब एक साल पहले भी मनीष में हिमसुता बस का एक बेमिसाल मॉडल बनाया था।