नई दिल्ली – ब्यूरो रिपोर्ट
बेनामी संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने 2016 के संशोधन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बेनामी संपत्ति कानून-2016 में किया गया संशोधन उचित नहीं है।
इसके साथ की कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए बेनामी संपत्ति मामले के तहत तीन साल तक की सजा के कानून को भी निरस्त कर दिया है। इससे पहले बेनामी संपत्ति मामले में दोषी को तीन साल तक की सजा का प्रावधान था।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट, 2016 की धारा 3(2) को मनमाना बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह धारा स्पष्ट रूप से मनमानी है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 2016 के कानून के तहत सरकार को मिला संपत्ति जब्त करने का अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं हो सकता है। यानी पुराने मामलों में 2016 के कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती।
क्या होती है बेनामी संपत्ति ?
बेनामी संपत्ति वह प्रोपर्टी है, जिसकी कीमत किसी और ने चुकाई हो लेकिन नाम किसी दूसरे व्यक्ति का हो। यह संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर भी खरीदी गई होती है।
जिसके नाम पर ऐसी संपत्ति खरीदी गई होती है, उसे ‘बेनामदार’ कहा जाता है। हालांकि, जिसके नाम पर इस संपत्ति को लिया गया होता है वो केवल इसका नाममात्र का मालिक होता है।
जबकि असल हक उसी व्यक्ति का होता है, जिसने उस संपत्ति के लिए पैसे चुकाए होते हैं। ज्यादातर लोग ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह अपना काला धन छुपा सकें।