कांगड़ा – राजीव जस्वाल
चार अप्रैल 1905 का दिन शायद ही कांगड़ा के लोग कभी भुला पाएं। लेकिन चार अप्रैल 1905 को भूकंप त्रासदी से अभी तक सीख नहीं ली गई है। अभी भी बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं और कंकरीट का जंगल तैयार किया जा रहा है।
ऐसे में वर्ष 1905 में करीब 11 हजार लोग भूकंप में काल का ग्रास बने थे लेकिन अब इस समय में भूकंप आया तो यह ज्यादा विनाशकारी होगा। जब भूकंप आया था उस वक्त पुराने व कच्चे मकान थे और मकानों की संख्या कम थी आबादी भी कम थी। अब वर्तमान में आबादी भी बढ़ गई है और कंकरीट का जंगल तैयार हो गया है।
ऐसे में बहुमंजिला इमारतें हैं अगर एक इमारत ही गिरे तो कई टन मलबा गिरेगा और कई लोगों के जीवन गंवाना पड़ सकता है। कांगड़ा भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है। भूकंप से बचाव के लिए माकड्रिल भी प्रशासन की ओर से नियमित तौर पर की जाती है। इसके प्रबंधन की तैयारी प्रशासन ने रखी है समय पर रिहर्सल भी की जाती है। लेकिन यह सारे प्रयास अभी तक न काफी हैं।
जमीन पर कंकरीट के कारण भार व दवाब बढ़ रहा है। अभी भी कांगड़ा में कम तीव्रता वाले भूकंप के झटके होते रहते हैं। लेकिन जब यह तीव्रता सात या आठ तक भी पहुंची तो भारी नुकसान हो सकता है। ऐसे में लोगों को अपने घर बनाते समय भूकंप रोधी तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी तरह की परेशान न हो सके।