परागपुर- आशीष कुमार
सेवानिवृत जनरल जी डी बक्शी ने देवताओं और फौजियों की धरती हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर कस्बे में आकर अपने व्यानों से गांधी जी और नेहरू जी का अपमान किया है और इतिहास को बदलने की कोशिश की है । बक्शी जी ने सैनिक से हटकर तथाकथित इतिहासकार बनके तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करके गांधी जी और दुसरे महान स्वतंत्रता सैनानियों का अपमान किया है और उनके स्वतंत्रता अंदोलन में किए गए योगदान को कम करने का अपराध किया है। आप जैसी शख्सियत से सैनिकों की धरती हिमाचल प्रदेश को ऐसे शब्दों की उम्मीद नहीं थी।
आज आपने वर्तमान बीजेपी के रंग में रंग कर, राष्ट्रपिता के आजादी के योगदान पर प्रश्नचिन्ह लगाकर आपने राष्ट्रपिता का अपमान किया है। आप खुलकर भाजपा का प्रचार करिए लेकिन सेना, जो हमारी आन वान और शान हैं, के शौर्य को ढाल बनाकर राजनीति न करें। खुलकर भाजपा की सदस्यता लेकर राजनीति करिए। हम सेना और सैनिकों का सम्मान करते हैं लेकिन आप एक सैनिक होकर किसी अंग्रेज नेता के लेख का हवाला देकर और उसको आधार बनाकर राष्ट्रपिता का अपमान कर रहें हैं।
आपको उस अंग्रेज पर ज्यादा भरोसा है , जिस अंग्रेज प्रधानमंत्री , क्लिमैंट रिचर्ड ऐटली को 1947 में सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने अपने साथियों जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लव भाई पटेल आदि के सहयोग से भारत से भगा दिया था, जिनका विवरण हजारों शोधकर्ताओं के लेखों में मिलता है। आप उन पर भरोसा नहीं कर रहे और एक ऐसे अंग्रेज प्रधानमंत्री के कहे गए शब्दों पर भरोसा कर रहे हैं जिन्हें भारत जैसे देश को खोने का मलाल था।
जनरल बक्शी ने जहां महात्मा गांधी जी का अपमान करने में कोई कसर नही छोड़ी वहीं उस व्यक्ति ने, जो हर वक्त हाथ में महात्मा गांधी जी की फोटो वाला मोमेंटो लेकर घूमते रहते हैं, ने बक्शी जी को हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर कस्बे में बुलाकर यहां की जनता और सैनिकों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है। प्रदेश के लोग और सैनिक मेजर जनरल बक्शी, और उनको बुलाने वाले व्यक्ति के विवादास्पद और खंडित करने वाले बयान को कभी भूलेंगे नहीं। क्योंकि भारत को स्वतंत्रता दिलाने वाले अहिंसा के पुजारी और दुसरे हजारों स्वतंत्रता सैनानियों को कम आंकना जैसे घिनोने और तथ्यहीन मनघडंत व्यान देने वाले आधुनिक तथाकथित पिछलग्गूओं पर जनता नजर गढ़ाए हुए है।
यह ठीक है कि सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज की कुर्बानियों को देश कभी भुला नहीं सकता तो यह भी अटल सत्य है कि महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, लाल बहादुर शास्त्री,जवाहरलाल नेहरु, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय, भगत सिंह, भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, सरोजनी नायडू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, बिरसा मूंडे, अशफाक़उल्ला खान, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव थापर, शिवराम राजगुरु, खुदीराम बोस, दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी), गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय, शहीद उधम सिंह, सरला शर्मा, सुशील रतन, बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी आदि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कमतर आंकना और आपसी तुलना करना घोर अपमान और अपराध है।
मेजर जनरल बक्शी और समारोह करने वालों ने मात्र महात्मा गांधी का ही अपमान नहीं किया है बल्कि पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम की धरती पर कदम रखकर उनके योगदान को कम एहमियत देकर, उनका भी अपमान किया है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इन वीरों के नाम स्वर्ण अक्षरों से लिखे है, ये सब अपने अकेले के दम पर, अपनी युवावस्था में सब कुछ त्याग कर देश की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे. आज हमारा भारतवर्ष अंग्रेजों से इन विभूतियों की वजह से आजाद है।