एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने छात्र मांगों को लेकर परीक्षा नियंत्रक के मार्फत उप कुलपति को ज्ञापन सौंपा

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शिमला, जसपाल ठाकुर

एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने कहा कि पिछले लंबे समय से कोरोना महामारी के फैलते संक्रमण के चलते प्रदेश भर में सभी शैक्षणिक संस्थानों बन्द होने के कारण जहां एक ओर छात्र मानसिक रूप से परेशान हुए है। वही दूसरी ओर सभी पुस्तकालय बन्द होने के कारण छात्र जो अपनी विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था को अध्ययन सामग्री के लिए जगह – जगह भटकना पड़ा।

 

लेकिन एक उम्मीद थी कि जैसे ही ये संक्रमण कम होगा, वैसे ही लाइब्रेरी खुलेगी और छात्र सुचारू रूप से अपनी तैयारी जारी करेगा। लेकिन 19 तारीख़ को उच्च शिक्षा निदेशालय से सभी पुस्तकालय 50% क्षमता के साथ कोरोना वायरस के तमाम निर्देशों का पालन करते हुए खोलने की अधिसूचना जारी होने के बाद भी विश्वविद्यालय की ओर से पुस्तकालय खोलने की अभी तक कोई भी अधिसूचना जारी नही की गई है ।

 

जो विश्वविद्यालय का छात्र समुदाय के प्रति रवैये को जगजाहिर करता है। साथ ही साथ विश्वविद्यालय के छात्रावासों को खोलने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। एसएफआई ने मांग उठाई की जल्द से जल्द विश्वविद्यालय को खोलने की कवायद को तेज किया जाए। साथ ही साथ छात्रों, शिक्षक तथा गैर शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के अंदर भी वैक्सीनेशन सेंटर का निर्माण किया जाए ताकि जो कर्मचारी वैक्सीन लगाने के लिए निकटतम केंद्रों के अंदर भाग दौड़ कर रहा है उससे से निजात मिल सके।

 

एसएफआई कैंपस सचिव रॉकी ने बताया कि ऐसे ही लगाता है। लंबे समय से यह मांग कर रही है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के परीक्षाएं विश्वविद्यालय प्रशासन ने करवानी थी। जिसमें पंचायत सचिव तथा अन्य गैर शिक्षक वर्ग के पद भरे जाने हैं। उनके लिए भी प्रशासन ने अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की है और एक ऐसे समय के अंदर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आर्थिक तौर पर हर एक वर्ग जूझ रहा है। इसलिए एसएफआई ने मांग उठाई कि जल्द से जल्द चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों तथा पंचायत सचिव की परीक्षाएं करवाई जाए।

 

परिसर अध्यक्ष विवेक राज ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछले साल भी विश्वविद्यालय के अंदर मेरिट आधारित दाखिल करवाए थे और छात्र के बहुत बड़े तबके को धोखे में रखते हुए उनसे एट्रांस के नाम पर 800 से 1000 रुपए तक लिए थे लेकिन बाद में कोविड का बहाना बनाकर मेरिट आधार पर ही विश्वविद्यालय में दाखिले करवाएं जो स्पष्ट तौर पर शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता है।

 

इसलिए एसएफआई ने प्रशासन को चेताते हुए कहा कि अभी विश्वविद्यालय प्रशासन के पास एंट्रांस करवाने को लेकर काफी समय है और विश्व विद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वह इस बाबत तैयारियां अभी से शुरू कर दें ताकि आने वाले समय के अंदर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से मुंह ना फेर सके अगर फिर से विश्वविद्यालय के अंदर मेरिट आधारित दाखिले होते हैं तो विश्वविद्यालय के अंदर फिर से एक उग्र आंदोलन होगा और जो शिक्षा की गुणवत्ता के सौदागर विश्वविद्यालय के अंदर बैठे हैं उन्हें विश्वविद्यालय से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

 

एसएफआई ने स्पष्ट कहा है कि अगर इन मांगों पर जल्द से जल्द कार्यवाही नही की गई तो एसएफआई आने वाले समय मे विश्वविद्यालय में आंदोलन करेगी जिसका जिम्मेवार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा।

परिसर अध्यक्ष
विवेक राज
9418062110

परिसर सचिव
रॉकी जुगवाल

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