मंडी, व्यूरो
आधुनिक दौर की केमिकल और सिंथेटिक वूल की चमकीली फैशन इंडस्ट्री में मंडी की रेशम और ऊन से तैयार आर्गेनिक (जैविक) शाल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में धूम मचाने के लिए तैयार है। यह शाल पूरी तरह आर्गेनिक है और इसकी कीमत 1.5 लाख रुपये है। इस पर अखरोट, हरड़, रतनजोत, अनारदाना का छिलका और मंजिष्ठा जड़ी-बूटी से बने प्राकृतिक रंग चढ़ाए गए हैं। दो शाल दिल्ली भेजी गई हैं जबकि तीसरी अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
वर्ष 2015 में हैंडलूम के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए शिल्प गुरू अवार्ड से सम्मानित ओपी मल्होत्रा के सानिध्य में मंडी के दो कारीगरों ने इस शाल को तैयार किया है। एक शाल बनाने में छह माह से अधिक समय लगा है। मल्होत्रा ने बताया कि अभी तक तीन शाल ही तैयार की गई हैं। दो शाल दिल्ली के फैशन डिजाइनर को भेजी गई हैं। इस शाल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैशन शो में शामिल करने की कोशिश की जा रही है। तीसरी शाल प्रशासन की ओर से मंडी के अतीत को दर्शाने वाली रीलिव द पास्ट प्रदर्शनी में रखी गई है।
दिल्ली म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा मंडी का चरखा
नई दिल्ली स्थित कनाट प्लेस में मंडी में बना हैरिटेज चरखा म्यूजियम की शान बढ़ा रहा है। मंडी की अंशुल मल्होत्रा ने इस चरखे को दान किया है। अंशुल शिल्प गुरू अवार्डी की बेटी हैं। उन्होंने बताया कि इस चरखे को 1957 में बनाया गया है। अब यह चरखा देश-विदेश के सैलानियों को आकर्षित कर रहा है।
ऋग्वेद ठाकुर, मंडी जिला के उपायुक्त के बोल
आधुनिक दौर में इस तरह के जैविक उत्पादों का अपना ही महत्व है। प्रशासन इसके लिए हर संभव मदद कलाकारों और कारीगरों की कर रहा है। ऐसे चुनिंदा जैविक उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने के लिए मदद की जाएगी। –
[…] 2012 में देश के राष्ट्रपति के हाथों से शिल्प गुरु अवॉर्ड से सम्मानित पिता ओम प्रकाश […]