हिमखबर डेस्क
राजधानी शिमला में चार दिन पहले 50 वर्षीय पूर्व सैनिक संदीप कुमार की संदिग्ध मौत मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने नशामुक्ति केंद्र न्यू मझार ब्योलिया के निदेशक सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। मामले की तफ्तीश के दौरान पुलिस चारों आरोपियों को केंद्र लेकर गई और उस कमरे में पहुंचकर घटनाक्रम की पुष्टि की, जहां संदीप के साथ कथित तौर पर बेरहमी से मारपीट की गई थी। पुलिस पूछताछ में सभी आरोपियों ने मारपीट की बात स्वीकार कर ली है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में नशामुक्ति केंद्र के निदेशक प्रत्यूष ठाकुर, स्टाफ सदस्य कार्तिकेय शर्मा, अरुण शर्मा और हिमांशु दुल्टा शामिल हैं। आरोप है कि यही लोग संदीप को मारपीट वाले दिन के अगले ही सुबह पहले पंथाघाटी के तेंजिन अस्पताल और बाद में आईजीएमसी ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पहले यह मामला संदीप की पत्नी कृष्णा देवी की शिकायत पर थाना सदर में दर्ज किया गया था, लेकिन जांच में मारपीट के संकेत मिलने के बाद इसे छोटा शिमला पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है। मामले की जांच की जिम्मेदारी एसएचओ ममता रघुवंशी को सौंपी गई है। सोमवार को पुलिस आरोपियों को दोबारा घटनास्थल पर ले जाकर घटनाक्रम की कड़ी जोड़ने का प्रयास करेगी।
इस मामले की जड़ें 12 नवम्बर की रात से जुड़ी हैं, जब पूर्व सैनिक संदीप कुमार नशे की हालत में घर लौटे थे। उनकी पत्नी ने बताया था कि वह घायल थे, नाक से खून बह रहा था और कपड़ों पर भी खून के निशान थे। रात भर उनकी हालत बिगड़ती देख उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र के सदस्यों को बुलाया और सुबह करीब पांच बजे कर्मचारी उन्हें साथ ले गए। उसी दोपहर नशामुक्ति केंद्र से फोन आया कि संदीप की तबीयत अचानक खराब हो गई है। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाद में आईजीएमसी में भी उनकी मौत की पुष्टि हुई।
आईजीएमसी मोर्चरी में शरीर की जांच के दौरान कई गंभीर चोटें, खरोंचें और पुराने व नए नीले पड़े घाव मिले। पत्नी कृष्णा देवी ने आरोप लगाया कि उनके पति को घर लौटने से पहले या बाद में किसी ने बुरी तरह पीटा होगा, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के तहत गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।
प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला कि 12 नवंबर को नशामुक्ति केंद्र में संदीप के साथ मारपीट हुई थी। अगले दिन उनकी तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। शारीरिक चोटों और कर्मचारियों के बयानों से पुलिस को संदेह गहरा हुआ। इसके बाद मामला तेजी से आगे बढ़ा।


