सिरमौर – नरेश कुमार राधे
हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज चुनाव स्थगन को लेकर खासी चर्चा में है। इसी बीच चुनावी राजनीति में इस बार क्रांतिकारी बदलाव की कोशिश सामने आई है। यदि,ये कोशिश कामयाब रही तो सिरमौर में एक इतिहास बन जायेगा। पारंपरिक भाजपा और कांग्रेस के चुनावी समीकरणों से परे जाकर, सिरमौर जिले के पांवटा साहिब विकास खंड की शिवा ग्राम पंचायत में प्रधान पद के चुनाव के लिए मेरिट-आधारित आवेदन (Merit-Based Application) की शुरुआत की गई है। इस पहल को पूर्व उद्योग विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक ज्ञान सिंह चौहान ने अपने ‘श्री पांवटा साहिब विकास मंच’ के माध्यम से आगे बढ़ाया है।
पहल की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
यह कदम उस समय उठाया गया है जब स्थानीय नेतृत्व अक्सर राजनीतिक प्रभाव, धनबल या जातिगत समीकरणों के आधार पर चुना जाता है, न कि योग्यता और समर्पण के आधार पर। मंच का उद्देश्य एक ऐसी पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करना है जहां प्रधान का चुनाव केवल उनकी योग्यता, शैक्षणिक पृष्ठभूमि और सामाजिक प्रतिबद्धता पर आधारित हो। हाल ही में सिरमौर जिले में एक प्रिंसिपल द्वारा जारी किए गए गलतियों से भरे चेक ने प्रशासनिक गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे; यह नई पहल उस प्रशासनिक और नेतृत्व गुणवत्ता की कमी को दूर करने का प्रयास है।
हिमाचल के सिरमौर में ‘श्री पांवटा साहिब विकास मंच’ द्वारा ग्राम पंचायत प्रधान पद के लिए शुरू किए गए योग्यता-आधारित चयन मॉडल में कुल 10 अंक निर्धारित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और गुणवत्तापूर्ण नेतृत्व सुनिश्चित करना है।
यह मॉडल तीन मुख्य मापदंडों पर आधारित है:
- सबसे पहले, शैक्षणिक योग्यता के लिए अधिकतम 6 अंक रखे गए हैं, जहां उम्मीदवार को मैट्रिक (1 अंक), 10+2 (2 अंक), या स्नातक (3 अंक) में से किसी एक उच्च स्तर के आधार पर अंक मिलेंगे, जो शिक्षा को महत्व देता है।
- इसके अतिरिक्त, समाज सेवा में योगदान के लिए 3 अंक आवंटित किए गए हैं, जिसमें भूमि दान या गरीबों के उत्थान जैसे सराहनीय कार्य शामिल हैं, जो सामाजिक समर्पण को मापते हैं।
- अंत में, साक्षात्कार और विज़न पर 2-2 अंक होंगे।
इस चयन प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से मेरिट पर आधारित होगी, बिना किसी फालतू खर्च के आयोजित की जाएगी, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल योग्य व्यक्ति ही चुना जाए, उपयुक्त उम्मीदवार न मिलने पर पद खाली रखने का कठोर प्रावधान भी रखा गया है।
मंच द्वारा सोशल मीडिया में किये जा रहे दावे के मुताबिक चयन प्रक्रिया पूरी तरह से मेरिट पर आधारित होगी और इसमें किसी भी तरह के पक्षपात की गुंजाइश नहीं होगी। यह प्रक्रिया उम्मीदवारों के बिना किसी फालतू खर्च के आयोजित की जाएगी, जिससे पारंपरिक चुनावों में होने वाले अनावश्यक खर्चे और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
सबसे कठोर नियम यह है कि यदि इंटरव्यू पैनल को कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिलता है, तो पद खाली रखा जाएगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य व्यक्ति ही चुने जाएं, न कि किसी मजबूरी में अयोग्य को प्रधान बनाया जाए।
पहाड़ी राज्य में, जहां चुनाव अक्सर जाति और क्षेत्रीय गठबंधनों पर निर्भर करते हैं, यह पहल एक बड़ा सामाजिक प्रयोग है। यह न केवल लोगों को पारंपरिक राजनीतिक सोच से ऊपर उठकर वोट देने के लिए प्रेरित कर सकती है, बल्कि भविष्य में राज्य के अन्य हिस्सों में भी नेतृत्व चयन के मॉडल को बदल सकती है। यह पहल स्थानीय युवाओं को अपनी शिक्षा और सामाजिक कार्यों के आधार पर राजनीति में आने का सीधा रास्ता दिखाती है।