हिमाचल की ‘जोड़ीदार’ शादी बनी वैश्विक सुर्खी, संस्कृति, कानून और महिला अधिकारों पर बहस

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हिमखबर डेस्क 

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले के शिलाई क्षेत्र में हुई दो सगे भाइयों और एक दुल्हन की शादी अब सिर्फ़ एक स्थानीय घटना नहीं रही। यह विवाह अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छा गया है और वैश्विक स्तर पर संस्कृति बनाम आधुनिक कानून की बहस का हिस्सा बन चुका है। कई विदेशी मीडिया संस्थानों ने इस खबर को प्रमुखता दी।

शादी की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि गूगल पर “भारत की सबसे वायरल शादी सर्च करने पर पहले या दूसरे पायदान पर यही खबर सामने आती है। सोशल मीडिया पर शादी के वीडियो और तस्वीरें लाखों बार शेयर हो चुकी हैं।

#यूनिकइंडियनवेडिंग (#UniqueIndianWedding) और #भारतमेंबहुपति (#PolyandryInIndia) जैसे हैशटैग (Hashtags) फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram) और एक्स (X) पर ट्रेंड में रहे।

हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस् ने इसे “दुर्लभ भारतीय शादी” करार देते हुए भारत की सांस्कृतिक विविधता का उदाहरण बताया।

हफपोस्ट के स्पेनिश संस्करण ने महिला अधिकारों के दृष्टिकोण से सवाल उठाए, लेकिन यह भी लिखा कि दुल्हन की स्वेच्छा इस परंपरा को अलग महत्व देती है।

द वीक ग्लोबल ने इसे “प्राचीन जनजातीय परंपरा कहते हुए संस्कृति और आधुनिक कानून के बीच संतुलन पर चर्चा की।

प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म बीबीसी (BBC) ने भी इस ख़बर को विस्तार से प्रकाशित किया है। बीबीसी ने अपने लेख में न केवल इस शादी की रिपोर्टिंग की, बल्कि इसके साथ-साथ भारत में जोड़ीदारा विवाह परंपरा की सामाजिक और सांस्कृतिक जड़ों पर भी विस्तार से चर्चा की है।

इसके अलावा केन्या के द स्टैण्डर्ड, इंग्लैंड के द टाइम्स व एमएसएन और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर भी यह खबर प्रकाशित हुई।

यह शादी हाटी जनजाति की सदियों पुरानी बहुपति प्रथा का हिस्सा है, जिसे स्थानीय भाषा में ‘जोड़ीदार’ कहा जाता है। भारतीय कानून में बहुपति विवाह मान्य नहीं है, लेकिन हाटी समुदाय को मिले अनुसूचित जनजाति के दर्जे के बाद यह प्रथा सांस्कृतिक संरक्षण के तहत मानी जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुल्हन ने स्पष्ट कहा –”मैंने पहले इस संस्कृति को समझा, जाना और फिर अपनी मर्ज़ी से यह निर्णय लिया।”स्थानीय नेताओं और हाटी प्रतिनिधियों ने इसे परंपरा का गर्व और व्यक्तिगत सहमति बताया।

विदेशी पोर्टल्स ने इस शादी को भारत की परंपराओं की गहराई और जटिलता का प्रतीक बताया। कई विश्लेषणों में इसे “आधुनिकता बनाम परंपरा की टकराहट का जीवंत उदाहरण कहा गया।

यह घटना अब सिर्फ़ एक गाँव की कहानी नहीं, बल्कि उस व्यापक विमर्श का हिस्सा बन चुकी है, जिसमें दुनिया भर के समाज यह संतुलन तलाश रहे हैं कि सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखते हुए महिला अधिकारों और कानून के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।

बहरहाल, सिरमौर के शिलाई क्षेत्र की यह शादी हिमाचल की सीमाओं से निकलकर वैश्विक मंच तक पहुंच गई है। इसने न सिर्फ़ भारत की सांस्कृतिक विविधता को दुनिया के सामने रखा, बल्कि यह भी दिखाया कि परंपरा, कानून और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संवाद कितना महत्वपूर्ण है।

यह शादी आज उस बहस का प्रतीक बन चुकी है कि बदलते समय में पुरानी प्रथाओं को कैसे देखा जाए और उन्हें आधुनिक संवेदनाओं के साथ कैसे संतुलित किया जाए।

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