गिलहरी की पूंछ का बाल, जहरीले रंग और सियालकोटी कागज, तब जाकर बनती है “मंडी कलम”

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हिमखबर डेस्क

कुछ महीने पहले मंडी कलम की पांच पेंटिंग्स पांच करोड़ में नीलाम हुई। उसके बाद मंडी जिला प्रशासन ने अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इसी प्राचीन कला को प्रोत्साहित करते हुए अपने निमंत्रण पत्र, मंडी कलम की कारीगरी में ही छपवाए।

इससे मंडी कलम को और ज्यादा ख्याति प्राप्त हुई। लेकिन, क्या आपको पता है कि मंडी कलम आखिर बनती कैसे है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि मंडी कलम को बनाने में क्या-क्या सामग्री इस्तेमाल होती है और इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री कितनी जानलेवा होती है।

गिलहरी की पूंछ के बाल से बनता है ब्रश

मंडी कलम में जो ब्रश इस्तेमाल होता है वह गिलहरी की पूंछ के बाल से बनाया जाता है। मंडी कलम के संरक्षण एवं संवर्धन में जुटे शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि सभी मिनिएचर पेंटिंग्स में इसी ब्रश का इस्तेमाल होता है और यह राजस्थान में ही मिलता है। इस ब्रश का आगे एक बाल तलवार की नोक की तरह होता है और वही पेंटिंग में सबसे अहम भूमिका निभाता है।

जहरीले प्राकृतिक रंगों का होता है इस्तेमाल

राजेश कुमार ने बताया कि मंडी कलम को प्राकृतिक रंगों से ही बनाया जाता है। इसमें किसी भी तरह के केमिकल रंगों का इस्तेमाल नहीं होता। यह प्राकृतिक रंग पेड़-पौधों और फूल-पत्तियों से प्राप्त होते हैं। कुछ रंग ऐसे हैं, जिनके इस्तेमाल में अगर सावधानी न बरती जाए तो फिर व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

नीला रंग इंडिगोफेरा फूल से बनाया जाता है। लाल रंग संगरफ से बनता है। पीला रंग वर्की हरताल से मिलता है। सफेद रंग खड़िया मिट्टी से मिलता है। काला रंग तिल के तेल और कपूर से बनाया जाता है। गेंदे के फूल से पीला, कद्दू की बेल से हरा और गुलाब से गुलाबी रंग मिलता है।

इन्हीं के मिश्रण से बाकी रंग भी बनाए जाते हैं। लैपीस सबसे जहरीला रंग है जो मंडी कलम में काफी ज्यादा इस्तेमाल हुआ है। गौगोली का भी काफी इस्तेमाल होता था जिससे पेंटिंग रात के अंधेरे में चमकती हैं। सोने के रंगों के लिए सोने के पानी का इस्तेमाल किया जाता है जोकि रियल होता है।

कबाड़ में मिला सियालकोटी कागज

मंडी कलम बनाने वाले राजेश कुमार ने बताया कि जब उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया तो पता चला कि यह पेंटिंग सिर्फ सियालकोटी कागज पर ही बनती हैं। बहुत तलाश करने पर उन्हें यह कागज एक कबाड़ी के पास से मिला। आज भी वे इस कागज की तलाश में हैं क्योंकि इसपर ही मंडी कलम का निखार आता है। मजबूरी में 300 जीएसएम कागज का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

आज विलुप्त होने की कगार पर है मंडी कलम

मंडी कलम वो प्राचीन कला है जिसके चित्रों के माध्यम से प्राचीन इतिहास की समृद्ध झलक देखने को मिलती है। उन दिनों चित्रों के माध्यम से ही स्मृतियों को सहेजा जाता था। लेकिन बदलते समय के साथ यह कला विलुप्त होती गई। आज मंडी में इक्का-दुक्का लोग ही ऐसे हैं जो इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रहे। सरकारी स्तर पर भी इसके संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है, तभी इस प्राचीन कला को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ले जाया जा सकेगा।

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