सोलन – रजनीश ठाकुर
बच्चों को दिए जाने वाला दोपहर भोजन (एमडीएम) में स्कूल प्रबंधक का एक बड़ा कारनामा सामने आया है। वीरवार को सीनियर सेकेंडरी स्कूल दिग्गल में एक भी बच्चा मौजूद नहीं था, लेकिन एमडीएम के एएमएस पोर्टल में खाना खाने वालों की संख्या 80 लिख दी, इसका खुलासा स्कूल के औचक निरीक्षण के दौरान हुआ।
इसमें पाया कि बच्चा एक भी न होने के बाद एमडीएम किचन में पनीर-चावल बन रहे थे, लेकिन अभी तक इसका खुलासा नहीं हुआ है, कि आखिर यह पनीर किसके लिए बनाया जा रहा था। शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधक को नोटिस जारी कर इसका जवाब मांग लिया है। जिसकी जांच भी बिठाई जा रही है।
जानकारी के अनुसार जिला एमडीएम नोडल अधिकारी को दिग्गल स्कूल की काफी समय से शिकायतें मिल रही थी। वीरवार को नोडल अधिकारी ने खंड शिक्षा अधिकारी को स्कूल का औचक निरीक्षण करने के लिए कहा, जिसके बाद जब टीम ने स्कूल का निरीक्षण किया तो पाया कि स्कूल में एक भी बच्चा एमडीएम खाने वाला नहीं था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने एएमएस पोर्टल पर खाना खाने वाले बच्चों की संख्या 80 अंकित की हुई थी।
मौके पर पाया कि एमडीएम किचन में एक बाल्टी चावल बन कर तैयार थी, जबकि गैस पर पनीर पकने के लिए चढ़ाया गया था। जब स्कूल में छठी से आठवीं तक के बच्चे वीरवार को स्कूल आए ही नहीं, तो फिर यह पनीर किसके लिए बन रहा था, इसकी जांच भी शुरू हो गई है। वहीं एएमएस पोर्टल पर एमडीएम की गलत जानकारी देने का भी कारण मांगा है।
एमडीएम जिला नोडल अधिकारी राज कुमार पराशर के बोल
उधर, एमडीएम जिला नोडल अधिकारी राज कुमार पराशर ने कहा कि स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। इस मामले की जांच की जा रही है। जब स्कूल में विद्यार्थी नहीं आए थे, तो 80 बच्चों को खाना कैसे खिला दिया और किचन पनीर किस के लिए बन रहा था। जांच में दोषी पाए जाने वाले नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसकी रिपोर्ट निदेशालय को भी सौंपी जाएगी।
रोजाना देना होता है आंकड़ा
बता दें स्कूल के एमडीएम प्रभारी को कितने बच्चों खाना खाया की जानकारी टोल फ्री नंबर 15544 पर एसएमएस या एएमएस पोर्टल पर साझा करनी अनिवार्य की गई है। इस ऑटोमेटिड मॉनिट्रिंग सिस्टम की समीक्षा प्रदेश और केंद्रस्तर पर हो रही है।
सोलन में 1097 स्कूलों में 55,000 विद्यार्थियों को खाना परोसा जा रहा है। कितने विद्यार्थियों ने खाना खाया इसकी जानकारी प्रभारी को तत्काल देनी होती है। इसका मुख्य उद्देश्य फर्जी आंकड़ों पर अंकुश लगागा है। जिसके आधार पर यह कार्रवाई की है, जिसमें स्कूल ने फर्जी आंकड़ा अपलोड किया है।