सिरमौर – नरेश कुमार राधे
भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए निर्धारित लक्ष्य में अब महज करीब दो वर्ष का समय शेष रह गया है। लिहाजा टीबी की बीमारी को जड़ से उखाड़ने के लिए निर्णायक वार किया जा रहा है। इसके तहत वयस्कों को टीबी से बचाव के लिए बीसीजी का टीका दिया जा रहा है।
ट्रायल के रूप में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में भी घर-घर जाकर वयस्कों को बीसीजी का टीका दिया जा रहा है। सिरमौर के मुख्यालय नाहन में शिक्षित वर्ग ने भी ट्रायल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।
धगेड़ा स्वास्थ्य खंड को 5233 के टीकाकरण का लक्ष्य मिला था। यहां 5252 को व्यस्क बीसीजी का टीका लगाया जा चुका है। यानि, करीब 22 दिन के भीतर 100.04 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर धगेड़ा खंड अव्वल स्थान पर आ गया है।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में नाहन हेल्थ ब्लाॅक नहीं है, इसे धगेड़ा खंड से ही पहचाना जाता है। उधर, चिंता की बात ये है कि संगड़ाह, पच्छाद व शिलाई स्वास्थ्य खंडों ने टीकाकरण को लेकर अब तक कोई खास रूचि नहीं दिखाई है। संगड़ाह में टीकाकरण के लिए 8093 को चिन्हित किया गया था, लेकिन मात्र 919 को ही टीका लगाया गया है।
इसी तरह पच्छाद में 1736 में से 292 को ही बीसीजी की डोज दी गई है। राजपुर (पांवटा साहिब) खंड में सबसे अधिक 14,805 को ये टीका लगना है, लेकिन 5885 का ही टीकाकरण किया गया है। इन खंडों में टीकाकरण की प्रतिशतता क्रमशः 11.4,16.8 व 39.8 है।
राजगढ़ में 3859 चिन्हित हुए, जिनमें से 1383 को टीका लगा है। प्रतिशतता 35.8 की है। शिलाई स्वास्थ्य खंड में 1517 में से 405 को ही टीका लगा है। प्रतिशतता 26.7 है। समूचे सिरमौर की बात की जाए तो 35,243 वयस्कों को मापदंडों के तहत चिन्हित किया गया था। इसमें से अब तक 14,136 को ही टीका लगा है।
सिरमौर की प्रतिशतता 40.3 है। गौरतलब है कि राज्य में पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर एडल्ट बीसीजी के लिए बिलासपुर, किन्नौर, कांगड़ा, ऊना, मंडी व सिरमौर को चुना गया था।
उधर, पूछे जाने पर धगेड़ा स्वास्थ्य खंड की बीएमओ (BMO) डाॅ. मोनिषा अग्रवाल ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि ब्लाॅक ने सौ प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है। अन्य खंडों से जुड़ी जानकारी शीर्ष अधिकारियों द्वारा ही दी जा सकती है।
तपेदिक( टीबी) की रोकथाम के लिए पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बीसीजी के टीके की एक खुराक दी जा रही है। टीबी के मरीजों के संपर्क में रहने वाले को भी दवा देने का प्रावधान किया गया है। वयस्कों के लिए प्रावधान ने होने की वजह से टीबी उन्मूलन चुनौती बना हुआ है।
खास बात यह है कि बीमारी हरेक उम्र के लोगों में देखी जा रही है। सामान्य तौर पर पाया गया है कि बुजुर्ग व धूम्रपान करने वाले टीबी से अधिक पीड़ित होते हैं। एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि यदि बीसीजी का टीका वयस्कों को भी दिया जाए तो मामलों में चार से पांच गुना गिरावट आ सकती हैं।
खंड | टीकाकरण के लिए चिन्हित व्यस्कों की संख्या | टीका लगाए गए व्यस्कों की संख्या | टीकाकरण की प्रतिशतता |
धगेड़ा | 5233 | 5252 | 100.04 |
संगड़ाह | 8093 | 919 | 11.4 |
पच्छाद | 1736 | 292 | 16.8 |
राजपुर | 14805 | 5885 | 39.8 |
राजगढ़ | 3859 | 1383 | 35.8 |
शिलाई | 1517 | 405 | 26.7 |
सिरमौर | 35243 | 14136 | 40.3 |
किन्हें टीका
धूम्रपान करने वाले 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले, जो पांच वर्ष पहले टीबी की बीमारी से पीड़ित हुए हो, टीबी के मरीज के संपर्क में रहे लोग, मधुमेह के मरीज को यह टीका दिया जा रहा है। टीका लेने के लिए लोगों को सहमति देनी होती है। टीबी के सक्रिय मरीजों को यह टीका नहीं दिया जाता है।
धगेड़ा स्वास्थ्य खंड चिकित्सा अधिकारी ने यह भी कहा कि टीका दिए जाने वाले लोगों को तीन वर्ष तक फालोअप किया जाएगा। इस दौरान नियमित अंतराल पर उनकी जांच की जाएगी। साथ ही यह भी परखा जाएगा कि टीबी की रोकथाम में बीसीजी का टीका कितना कारगर साबित हो रहा है।