हिमखबर डेस्क
चंबा की एक बेटी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। शहर के चमेशणी मोहल्ले की रहने वाली लता अपने पिता के हुनर को जिंदा रखने के लिए जुटी हुई है। लता ने वही कर दिखाया जो उनके पिता करते थे। लता के पिता पूर्ण चंद का निधन चार वर्ष पहले हो गया था। पूर्ण चंद मूर्तिकला के बेहतरीन कारीगर थे।
लता ने पिता के हुनर को जिंदा रखने की सोच को लेकर यह काम शुरू किया है। वह इसमें सफल भी हो रही हैं। लता ने इस वर्ष काली माता की मूर्ति बनाई है। जिसे सुल्तानपुर वार्ड के माई का बाग मोहल्ले में मां ज्वाला जी मंदिर में रखा जाएगा।
लता ने बताया कि उसने पराली, लाल मिट्टी, प्लास्टर, कच्ची रस्सी, फट्टे और मलमल का कपड़ा और अलग-अलग रंगों का प्रयोग करते हुए करीब 20-25 दिन की कड़ी मेहनत के बाद मां काली की मूर्ति तैयार की है।
लता ने कोरोना काल के दौरान श्री रामलीला क्लब चंबा के लिए रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनाए थे। लता का कहना है कि उनके पिता रामलीला क्लब चंबा के बहुत पुराने सदस्य थे और क्लब के साथ लगभग 40-45 साल के साथ जुड़े हुए थे तथा सेवा करते थे।
जब उनके पिता पूर्ण चंद मां काली मूर्ति को बनाते थे तो वह उनके साथ मूर्ति बनाने में सहायता करती थीं। मगर पिता का निधन होने के बाद लता ने इसका काम बंद कर दिया। हालांकि कई बार लोग लता के पास आकर मूर्ति बनाने के लिए आग्रह करते थे। इसके बाद लता ने पिता के हुनर को जिंदा रखने के लिए दोबारा से मूर्ति बनाने का फैसला लिया।
लता का कहना है कि आज के समय लड़के-लड़की में कुछ भी फर्क नहीं है। आज की लड़कियां किसी से कम नहीं है, चाहे किसी भी फील्ड में ही क्यों न हों। बस उनके ऊपर विश्वास, भरोसा और यकीन करें।