सखियों संग सात फेरे लेने नाहन पहुंची अमेरिकन युवती, दूल्हे का माटी प्रेम बना वजह

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सिरमौर – नरेश कुमार राधे

शादी हरेक के जीवन का एक यादगार लम्हा होता है। हवा या पानी में भी वैडिंग प्लान की जाती है। मगर हम आपको एक ऐसी खास शादी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो प्लेन या फिर शिप में नहीं हुई, बल्कि अमेरिकन दुल्हन सहेलियों संग अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेने नाहन पहुंच गई।

यूएसए में सेटल 30 साल के उदितेंद्र सिंह ठाकुर की जिद थी कि अर्धांगिनी से परिवार की रूटस में ही परिणय सूत्र में बंधेंगे। लिहाजा दुल्हन ‘क्विन्न’ सखियों की टोली लेकर अमेरिका से नाहन पहुंच गई।

दीगर है कि उदितेंद्र सिंह ठाकुर का जन्म व शिक्षा अमेरिका में ही हुई है, लेकिन हमेशा ही अपनी रूट्स से जुड़ा रहने की कोशिश करते है।

हल्दी की रस्म निभाते वर वधू।

सहेलियों को सखी की शादी का गवाह बनने का जबरदस्त क्रेज था, भारतीय परिधानों में अमेरिका की नागरिक युवतियों ने वो तमाम रीति-रिवाज निभाए, जो यहां दुल्हन बनने पर भाई निभाते हैं। करीब 30 विदेशी मेहमान शादी में बाराती बनकर पहुंचे थे।

परिवार ने भी विदेशी दुल्हन की सखियों की आवभगत में कोई कोर-कसर नहीं रखी। सखियों ने ही फूलों की चादर ओढ़ाकर सहेली को शादी के मंडप तक पहुंचाया। शहर के समीप एक निजी रिजॉर्ट में रविवार दोपहर पेशे से ऑर्किटेक्ट दुल्हन हिन्दू रीति-रिवाजों के तहत नाहन की पुत्रवधू बन गई।

गृह प्रवेश की रिवायत को सास नीलो ठाकुर ने बहू की आरती उतार निभाया। तीन दिनों के दौरान हल्दी, मेहंदी व लेडीज संगीत इत्यादि की रस्मों को अपर स्ट्रीट स्थित महिन्द्रा कॉटेज में निभाया गया।

रोचक बात ये थी कि वर व वधू एक साथ ही तमाम रस्मों को निभा रहे थे। रविवार रात रिसेप्शन में करीब 30 से 36 विदेशी युवक व युवतियां भारतीय परिधानों में हर किसी को बरबस अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे। वो भी हर मेहमान से बेहद उत्साहित होकर मिलते नजर आए।

मौजूदा में उदी अमेरिका की सबसे बड़ी लेबर यूनियन में नीति व राजनीतिक सलाहकार के तौर पर कार्यरत है। राजनीति में उदी की रुचि है। वांशिगटन डीसी में उदी कांग्रेस के सदस्य प्रमिला जेपल के एलए भी रह चुके है।

दूल्हे के पिता रविंद्र सिंह ठाकुर का कहना था कि वो 1990 में अमेरिका चले गए थे, लेकिन हमेशा ही अपनी जड़ों से जुड़े रहे। बेटे की मर्जी के बगैर नाहन आकर शादी मुमकिन नहीं थी। खुशी है कि बेटा भी पैतृक जगह से जुड़ा हुआ है। बता दें कि दूल्हे के पिता 1983-84 के दशक में रणजी क्रिकेट खिलाड़ी भी रहे हैं।

उधर, परिणय सूत्र में बंधने के बाद दंपत्ति ने अगली सुबह आराध्य देव शिरगुल देवता के मंदिर मंडलाह में शीश नवाजा। इस दौरान विदेशी मेहमान भी दूल्हे के कुलदेवता के मंदिर में पहुंचे थे। नाहन से मंडलाह करीब 20 किलोमीटर दूर है। चोटी पर शिरगुल देवता प्राचीन मंदिर में विराजमान हैं। सोमवार शाम दूल्हा व दुल्हन अपने दोस्तों संग इंडिया ट्रिप पर रवाना हो गए।

-उदितेंद्र सिंह ठाकुर दूल्हे के बोल 

‘‘मैं यूएसए में ही पला-बड़ा हुआ हूं। माता-पिता ने संस्कार दिए। पापा…मुझे बताया करते थे, नाहन में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई साम्प्रदायिक सौहार्द से रहते हैं। ये बात हमेशा ही मुझे प्रभावित करती रही। मुझे खुशी है, मेरा शहर ऐसा है। ताउम्र पैतृक स्थान से जुड़ा रहना चाहता हूं। अमेरिकन मूल की वाइफ को भी नाहन का सौहार्द प्रभावित करता है।’’

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