कांगड़ा मंदिर में वर्षों पुरानी परंपरा शुरू, कल बनेर खड्ड में किया जाएगा विसर्जन
काँगड़ा – राजीव जस्वाल
माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा में पावन पिंडी पर हर वर्ष की भांति गोटे की मिंजर बांधकर वर्षों पुरानी परंपरा शुरू हो गई है। मंदिर के पुजारी पंडित राम प्रसाद शर्मा ने बताया कि वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए माता की पिंडी पर गोटे की मिंजर बांध दी गई है।
मंगलवार को इस का विसर्जन बनेर खड्ड में होगा हर वर्ष की भांति इस बार भी सावन माह में बज्रेश्वरी देवी की पावन पिंडी पर पीली डोरी से सुशोभित गोटे की मिंजर बांधकर वर्षों पुरानी परंपरा शुरू हो गई है। मंगलवार को गोटे की मिंजर पूरे रीति-रिवाज से साथ बनेर खड्ड में प्रवाहित की जाएगा।
इस दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना का दौर जारी है। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पंडित राम प्रसाद शर्मा ने बताया कि मिंजर बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है ।
सावन के महीने के पहले मंगलवार को माता की पिंडी पर गोटे की मिंजर बांधी जाती है, जो कि इंद्रदेव को समर्पित होती है, ताकि बरसात में इलाका में कोई ज्यादा नुकसान न हो।
वैसे तो मिंजर बांधने की परंपरा के अलग अलग रीति-रिवाज व धारणाएं है। गोटे के मिंजर मंगलवार को पूरे रीति रिवाज से बनेर खड्ड में प्रवाहित की जाएगी। सावन माह में श्रद्धालु मां के जयकारे लगाते हुए मंदिर में पहुंच रहे हैं। परंपराओं का निर्वहन निरंतर जारी है।
हर साल सावन के इन मेलों के दौरान मां के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मां की पिंडी के दर्शन कर भक्त प्रसन्न है। मंदिर में पूजा-अर्चना का दौर जारी है । सुबह-शाम आरती के अलावा मंदिर में मां की सेज भी बिछ रही है। मां के श्रद्धालु ऑनलाइन भी बज्रेश्वरी देवी के दर्शन कर रहे हैं।