काँगड़ा – राजीव जस्वाल
प्यार करने वालों के लिए सरहदें मायने नहीं रखतीं। ऐसी ही प्रेम कहानी है ऑस्ट्रिया के वियाना की रहने वाली बिरगिट की। यही प्यार बिरगिट को सात समंदर पार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक छोटे से गांव ले आया।
जहां वह गनोह पंजाहड़ा निवासी रमेश राज के साथ हिंदू रीति-रिवाज के साथ सात फेरे लेकर शादी के बंधन में बंध गई।शादी में भारतीय संस्कृति की झलक के साथ बैंड-बाजा भी बजाया गया।
शगुन सहित सभी अन्य रस्में अदा की गईं। वहीं घोड़ा नुमा बग्गी पर सवार दूल्हा सगे संबंधियों व अन्य के साथ घर से निजी पैलेस में बरात लेकर दुल्हन को लेने पहुंचा। परंपरा का निर्वहन करते हुए जयमाला भी पहनाई गई।
इस दौरान दुल्हन बिरगिट की माता गैवरिल जुपाक व भाई रोमन बरुंथेलर ने अपना फर्ज अदा किया। पंडित ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दूल्हा-दुल्हन के सात फेरे करवाए। इस प्रकार दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।

जानकारी के अनुसार कांगड़ा जिले के गनोह पंजाहड़ा निवासी देस राज कौंडल जून 1992 में ऑस्ट्रिया चले गए थे। इस दौरान 2003 में उन्होंने अपनी पत्नी सविता कौंडल व दोनों बेटों रमेश राज व दिनेश राज कौंडल को भी बुला लिया।

उनका सारा परिवार व नव नवेली बहू ऑस्ट्रिया में सरकारी नौकरी करते हैं। देस राज कौंडल ने बताया कि उनकी बहू की ऑस्ट्रिया की सहेली ने नौकरी के दौरान बेटे रमेश राज की मुलाकात बिरगिट से करवाई।

यह मुलाकात जल्दी ही दोस्ती से बदलकर एक-दूसरे से जिंदगी भर का रिश्ता बनाने तक पहुंच गई। बेटे ने अपनी माता से इस विषय पर बात की। इसके बाद पिता ने भी शादी के लिए हामी भर दी।

वहीं, बिरगिट के पिता लियोहार्ड रिचर्ड्स और माता गैबरिल जुपाक भी बेटी के प्यार के लिए शादी पर राजी हो गए। लेकिन बेटी की शादी देखने से पहले ही गैबरिल के पिता की मौत हो गई।

इस बीच भारतीय संस्कृति और अपने रीति रिवाजों को संजोए हुए आखिरकार देस राज कौंडल ने शुभ मुहूर्त के अनुसार 8 अप्रैल को दोनों को परिणय सूत्र में बांधने की रस्में अदा कीं।