शिमला – नितिश पठानियां
शैमराक रोजेज स्कूल कच्चीघाटी ने स्कूल परिसर में होली धूमधाम के साथ मनाई। वही शैमराक रोजेज स्कूल की प्रधानाचार्य ने कहा कि होली एक ऐसा रंग-बिरंगा त्योहार है, जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते है।
प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, सम्प्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई चारे का संदेश देता है । इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चों और युवा रंगो से खेलते हैं।
होली रंगो के त्यौहार से भी जाना जाता है। यह हिन्दुओ के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। उन्होंने कहा कि होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है।
विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में विष्णु पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्य कश्यप को यह पसंद नहीं था।
ऐसे में जब किसी भी तरह प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में सफलता हाथ नहीं लगी, तो हिरण्य कश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उन्होंने बच्चों को बताया कि होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी।
इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बाँका नही जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलका भस्म हो गई।
बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली कां त्योहार मनाया जा रहा है। वही शैमराक रोजेज स्कूल के छात्रों ने एक दूसरे से रंग लगाकर होली का पर्व बनाया।