क्लास थ्री में अढ़ाई लाख के तय नियम से बाहर जा रहे हैं आवेदक, अब तक दो हजार को रोजगार
शिमला – जसपाल ठाकुर
तृतीय श्रेणी में नौकरी का इंतजार कर रहे करीब दो हजार करूणामूलकों को बड़ा झटका लग सकता है। इनकी तैनाती नियमों के दायरे में फंस गई है। इन्हें विभिन्न विभागों में अब नौकरी नहीं मिल पाएगी। दरअसल, प्रदेश सरकार ने अढ़ाई लाख रुपए सालाना आय का दायरा करूणामूलकों के लिए तय किया है।
अब तक हुई भर्तियां एकमुश्त राहत के तहत इसी नियम के तहत हुईं हैं। प्रदेश में करूणामूलकों के चतुर्थ श्रेणी के करीब 1200 पद अभी तक भरे जा चुके हैं, जबकि 800 आवेदनों को विभाग ने अप्रूवल दे दी है। करूणामूलकों के 4500 आवेदन पूरे प्रदेश भर में लंबित हैं।
इनमें से दो हजार की भर्ती हो चुकी है, जबकि पांच सौ अन्य ऐसे हैं, जिन्होंने तृतीय श्रेणी के लिए आवेदन किया है और तय सभी नियमों और शर्तों को पूरा करते हैं। ऐसे में यह आंकड़ा बढ़कर 2500 पहुंच जाएगा, जबकि बाकी बचे 2000 आवेदन नियमों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इन आवेदकों की वार्षिक आय अढ़ाई लाख से अधिक है।
ऐसे में जब तक न्यूनतम आय के दायरे में कोई फेरबदल नहीं होगा, तब तक भर्तियां नहीं हो पाएंगी। गौरतलब है कि छठा वेतन आयोग आने के बाद कर्मचारियों के वेतन और पेंशन दोनों में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में करूणामूलक परिवार जो तृतीय श्रेणी के दायरे में हैं, उन्हें जो पेंशन मिल रही है उसमें वे तय नियमों से बाहर हो रहे हैं।
ऐसे में अब आखिरी फैसला प्रदेश सरकार को ही लेना होगा। फिलहाल, गेेंद मुख्यमंत्री के पाले में पहुंच गई है और अब तमाम करूणामूलक इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि आगामी कैबिनेट बैठक में प्रदेश सरकार नियमों में फेरबदल करे और न्यूनतम आय के दायरे को बढ़ा दिया जाए, ताकि करूणामूलकों को नौकरी मिल सके। करूणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि यह लंबाई लंबी चलेगी।
संघ की दो टूक; व्यवस्था बनाएं, तभी तोड़ेंगे अनशन
संघ ने फैसला किया है कि तृतीय श्रेणी में जो 500 आवेदन लंबित है उनके लिए व्यवस्था प्रदेश सरकार बनाती है, तो वे क्रमिक अनशन तोड़ देंगे। जबकि जो अन्य 2000 आवेदक बच जाएंगे उनके लिए सरकार से लगातार संपर्क साधा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार से मांग की जाएगी कि करूणामूलकों की भर्ती में न्यूनतम आय सीमा को बढ़ाया जाए और भर्ती में पांच प्रतिशत के कोटे को भी बदला जाए।