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हिमखबर डेस्क

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हिमाचल प्रदेश विवि में इस साल से 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू होगा। एचपीयू ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। इसको लेकर कवायद तेज कर दी गई है। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गाइडलाइंस को अंतिम रूप दे दिया है। न केवल विवि बल्कि इससे सबंधित सभी कालेजों में चार साल का स्नातक डिग्री प्रोग्राम शुरू होगा।

विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू करना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा है और चरणबद्ध तरीके से उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल बिंदुओं को लागू किया जा रहा है। इस साल से सभी नए विद्याॢथयों के पास 4 वर्षीय अंडर ग्रैजुएट कोर्स में प्रवेश लेने का विकल्प होगा।

इसके अलावा पुराने विद्याॢथयों के लिए भी 4 वर्षीय अंडर ग्रैजुएट कोर्स की स्कीम को मंजूरी दी जा सकती है। इसको लेकर यूजीसी की ओर से गाइडलाइंस जारी होने के बाद भी स्थिति साफ होगी। इसके लागू होने के बाद विद्यार्थी, जिन्होंने इस वर्ष सामान्य 3 वर्षीय अंडर ग्रैजुएशन कोर्सिज में दाखिला लिया है, उन्हें भी अगले सत्र से 4 साल के डिग्री कोर्स में शामिल होने का अवसर मिल सकता है।

विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने में मिलेगी मदद

विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू होने पर विदेशों के विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह के 4 वर्षीय डिग्री कोर्स के पाठ्यक्रम विदेशी विश्वविद्यालयों में भारतीय डिग्रियों को समकक्षता मिलेगी। इससे विद्याॢथयों को विदेशों में स्थित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने में आसानी होगी।

कई विदेशी विश्वविद्यालयों में 3 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स मान्यता नहीं देते हैं। इस वजह से भारत के विश्वविद्यालयों में 3 वर्षीय डिग्री कोर्स करने पर उन्हें विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का मौका नहीं मिल पाता है। इस कारण देश में शोध कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूजीसी के अलावा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के प्रारूप के तहत 4 वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स दोबारा शुरू किए जा रहे हैं।

सीधे पीएचडी में प्रवेश

नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा ढांचे में कई बदलाव किए जा रहे हैं और अब पहली बार स्नातक डिग्री कोर्स करने वाले विद्याॢथयों को भी 4 वर्ष का कोर्स करने के बाद पीएचडी में सीधे प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। अभी तक यह व्यवस्था केवल 4 वर्ष के इंजीनियरिंग कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए मान्य थी। शोध को बढ़ावा देने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।

पीएचडी कोर्स की अवधि न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 6 वर्ष तय की गई है, इसमें कोर्स वर्क की समयावधि को शामिल नहीं किया गया है। पीएचडी करने के दौरान महिला अभ्यर्थियों को अधिकतम 240 दिन का मातृत्व अवकाश भी मिल सकेगा।

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