हिमाचल में रैगिंग: कमरे में बुलाकर रात साढ़े 11 से सुबह तीन बजे तक पीटते रहे सीनियर छात्र

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कमरे में बुलाकर रात साढ़े 11 से सुबह तीन बजे तक पीटते रहे सीनियर छात्र, रैगिंग का शिकार हुए घुमारवीं के युवक ने बताई सच्चाई

बिलासपुर – सुभाष चंदेल 

हिमाचल प्रदेश के कालेजों और विश्वविद्यालयों में रैगिंग को लेकर चाहे सरकार और प्रशासन जितना भी छात्रों को जागरूक कर ले, लेकिन महीने-दो महीने बाद कहीं न कहीं से रैगिंग का मामला सामने आ ही जाता है। आज तक इस बीमारी का जड़ से इलाज नहीं हो पाया है।

अच्छे कालेजों में पढ़ाई के लिए जा रहे छात्र रैगिंग और मारपीट के डर से पढ़ाई तक छोडऩे के लिए मजबूर हो रहे हंै। इसका ताजा उदाहरण अभी हाल ही में कंडाघाट की बाहरा यूनिवर्सिटी में सामने आया है।

जहां रैगिंग का वीडियो वायरल होने पर सभी को पता चल पाया कि कैसे सीनियर छात्र जूनियन छात्रों का शोषण कर रहे है। सरेआम मारपीट और डरा धमका कर उनको शराब पिलाई जा रही है।

इसी रैगिंग और मारपीट का शिकार हुआ बिलासपुर जिला के घुमारवीं के पपलाह गांव का रजत कुमार परेशान होकर अपने घर पर आ गया है। मारपीट के दौरान उसके शरीर पर चोट के निशान भी है। परिजनों के अनुसार उनका बेटा अभी तक पढ़ाई के लिए प्रीपेयर नहीं है।

लिहाजा पूरी तरह से स्थिति से उबरने के बाद ही विश्वविद्यालय जाएगा। रजत ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा करते हुए बताया कि बिलासपुर जिला से ही ताल्लुक रखने वाले उसी विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे एक युवक ने स्कूल टाइम की कोई पुरानी रंजिश रखी होगी जिसके बारे में वह अनभिज्ञ था।

घटना वाली रात रैगिंग करने वाले युवकों में वह भी शामिल था। इस बारे में पुलिस को दी शिकायत में पूरा विवरण दिया है। रजत कुमार ने बताया कि स्कूल टाइम में उस युवक के साथ किसी की लड़ाई हुई थी और वह (रजत) भी वहां पर उपस्थित था जिस पर उस युवक ने उसे वॉर्न किया था जिन्होंने उसके साथ लड़ाई की वह उसके दोस्त थे। शायद यही खुन्नस उसने रखी होगी।

मगर उसने कभी भी ऐसा नहीं सोचा था कि उसके साथ ऐसा घटनाक्रम पेश आएगा। रजत ने बताया कि रैगिंग की घटना सात सितंबर की है। उस रात 11:30 बजे उसके कमरे में एक युवक आता है और उसे सीनियर होस्टल के कमरे में बुलाया जाता है। उसके बाद दो युवक आ जाते हैं और उसे साथ ले जाते हैं।

जब वह सीनियर होस्टल के कमरे में पहुंचता है, तो वहां पर कमरे में आठ युवक उपस्थित थे। जैसे वह कमरे में प्रवेश करता है, तो अचानक उसे पीटना शुरू कर देते हैं और साढ़े 11 से लेकर तीन बजे तक पीटते रहे। यहां तक उसे नशा पिलाने की कोशिश भी की गई।

इस बीच गाली-गलौज और मारपीट के साथ ही जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं। सुबह नौ बजे उसे कमरे से बाहर भेजा जाता है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। मारपीट में उसे काफी चोटें भी आई हैं और वह मानसिक व शारीरिक रूप से अभी तक प्रीपेयर नहीं है।

रजत कुमार के अनुसार अपने कमरे में पहुंचने के बाद सारी आपबीती अपने दोस्त को सुनाई और उसके बाद विश्वविद्यालय की एंटी रैगिंग कमेटी को सूचित किया। साथ ही अपने परिजनों को भी घटनाक्रम की सूचना दी।

सूचना मिलते ही कालेज पहुंचे पिता और मामा

रजत ने बताया कि पता चलते ही पिता देवानंद व मामा राकेश कुमार वहां पहुंच गए और कंडाघाट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने एंटी रैंगिंग व मारपीट के तहत मामला दर्ज किया है और जांच चल रही है।

इसके अलावा रैगिंग करने वालों के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में उम्मीद है कि जिन्होंने उसके साथ रैगिंग व मारपीट की है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

पिता बोले, मारपीट से बेटे के शरीर पर चोट के निशान

रजत के पिता देवानंद ने निजी विश्विद्यालय में बेटे के साथ हुई मारपीट व रैगिंग के मामले में पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने की मांग उठाई है। साथ ही इस घटनाक्रम की कड़े शब्दों में निंदा भी की।

देवानंद का कहना है कि बेटे के साथ अन्याय व अत्याचार हुआ है, जिससे पूरा परिवार दुखी है। किसी और के बेटे या बेटी के साथ ऐसा न हो इसके लिए कड़ी कार्रवाई होना जरूरी है। रजत के पिता किसान है, जबकि माता गृहिणी हैं। रजत के शरीर पर गहरे जख्म हैं ।

वार्डन जिम्मेदार

ऐसी घटनाओं के लिए वार्डन ही जिम्मेदार है क्योंकि जब भी उन्हें सूचनाएं दी जाती है, वे अनदेखा कर, सूचना देने वाले को ही कोसते हैं। बाहरा यूनिवर्सिटी में भी ऐसा ही हुआ।

साथ के ही एक अन्य प्राइवेट विश्वविद्यालय के छात्र ने बताया कि उसे भी कई बार सीनियर्स ने तंग किया लेकिन यूपी से यहां जॉब कर रहे वार्डन को जब भी बताया, उसने शिकायतकर्ता को ही डांटा। बाहरा की घटना ने कई नए-पुराने छात्रों के जख्मों को हरा कर दिया है।

बुद्धिजीवी बोले, आरोपी पर हो कड़ी कार्रवाई

बुद्धिजीवियों का कहना है कि रैगिंग बहुत बड़ा कलंक है और कई मेधावी छात्राओं की जिंदगी बर्बाद कर चुका है। उनका कहना है कि बाहरा ही नहीं, अन्य भी किसी विश्वविद्यालय से अगर कोई शिकायत पेंडिंग है, तो वार्डन और संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

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