शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता का मामला सामने आया है। राज्य सरकार द्वारा 10 मार्च 2023 को जारी एक अधिसूचना, जिसमें 19 राजकीय महाविद्यालयों को डी-नोटिफाई किया गया था, अचानक सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
आश्चर्य की बात यह है कि कुछ फेसबुक पेजों और न्यूज़ पोर्टलों ने बिना तथ्यों की पुष्टि किए इस पुरानी खबर को फिर से प्रकाशित कर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ पत्रकारों द्वारा इस अधिसूचना को सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया, जिससे भ्रम की स्थिति और अधिक बढ़ गई। हालांकि बाद में पोस्ट व खबरों को डिलीट भी किया जाने लगा था।
हैरानी तब हुई जब इस अधिसूचना की तारीख (10-03-2023) स्पष्ट रूप से लिखी होने के बावजूद इसे वर्तमान की खबर की तरह पेश किया गया। इससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। इस भ्रामक खबर को फैलाने वाले न केवल ट्रोल हुए, बल्कि कई लोगों ने सरकार से मांग की कि इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता पर सख्त कार्रवाई की जाए।
मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि पत्रकारिता की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को तुरंत ही प्रभावी कदम उठाने चाहिए। साथ ही मुख्यधारा की जिम्मेदार पत्रकारिता को बढ़ावा देना चाहिए। अगर इस तरह की फर्जी और भ्रामक खबरों पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह न केवल समाज में गलत सूचनाएं फैलाएगा, बल्कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करेगा।
प्रदेश के जागरूक नागरिकों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता पर अंकुश लगाया जा सके और लोगों तक सही एवं प्रामाणिक जानकारी पहुंचे।