झुलसा देने वाली गर्मी में भी जनसभाओं का हिस्सा बनी जनता, मतदाताओं में जोश
हिमखबर डेस्क
40 से 45 डिग्री तापमान के बीच ज्येष्ठ माह की झुलसा देने वाली गर्मी में अकसर पहाड़ के लोगों की रूटीन मौसम के हिसाब से बदल जाती है। गर्मी के इस मौसम में ज्यादातर सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक सुनसान दिखने वाले गांव के चौबाटों से लेकर शहर के बाजार, सडक़ें और खासकर मैदान आजकल अवाम से गुलजार नजर आ रहे हैं।
चुनावी सीजन में पहाड़ी राज्य में विशेष रूप से होने वाली रैलियां और रोड-शो आम आदमी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस के राष्ट्र अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सरीखे नेताओं की रैलियां और रोड-शो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि इन आयोजनों में पार्टी वर्कर के अलावा आम जनता ने भी स्वेच्छा से दस्तक दी है।
खासकर केंद्र की अग्निवीर योजना में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बताई गई आगामी संभावनाएं और और ओपीएस पर हिमाचल सरकार का स्टेंड आमजन को प्रभावित कर रहा है। चारों संसदीय क्षेत्रों में से इस दफा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र पर दोनों ही राजनीतिक दलों का ज्यादा फोकस देखा जा रहा है।
इसका एक कारण तो यहां के लगातार चार बार जीत चुके सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर हैं, दूसरा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का इसी संसदीय क्षेत्र से होना है। तीसरा बड़ा कारण यह है कि प्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में छह में से चार सीटें अकेले हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से हैं।
इनमें दो सीटें मुख्यमंत्री के गृह जिला से हैं और दो उपमुख्यमंत्री के। कांग्रेस कम से कम यहां चारों सीटों को बचाने की जुगत में है। उधर, भाजपा जो भविष्य के सपने संजोकर चल रही है, उन्हें सच करने के लिए वह सभी छह सीटें जीतना चाहती है। मजेदार बात यह है कि खासकर भाजपा के स्टार प्रचारकों की रैलियों ने बागियों का टैग लेकर चले सभी पूर्व विधायकों को संजीवनी देने का काम भी किया है।
भाजपा हाईकमान की मंडी पर नजरें
कांग्रेस-भाजपा दोनों ही लोकसभा की चारों और विधानसभा की खाली हुई सभी छह सीटों को जीतना चाहते हैं, लेकिन जैसे कांग्रेस हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की चारों विधानसभा सीटों को अपनी प्रतिष्ठा मानकर चली है, वैसे ही भाजपा मंडी की लोकसभा सीट को।
दरअसल एक तो भाजपा हाईकमान ने पहली बार किसी अभिनेत्री को यहां से टिकट देकर नया प्रयोग करते हुए चुनाव को रोचक बनाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर लगातार दस साल से प्रदेश की चारों सीटों को जीत रही बीजेपी को लोकसभा के उपचुनाव में यहां से शिकस्त खानी पड़ी थी। ऐसे में बीजेपी यहां ज्यादा मेहनत भी कर रही है।