श्रीनयनादेवी – सुभाष चंदेल
हिमाचल प्रदेश का श्रीनयनादेवी जी पहला शक्तिपीठ है जोकि गर्भगृह से लेकर ऊपर गुंबद और अब बाहर से भी सोने का हो गया है। इस कार्य को समाजसेवी संस्था द्वारा बखूबी करवाया गया है।
लगभग 16 करोड़ रुपए मंदिर की इस स्वर्ण सजावट के ऊपर खर्च किए गए हैं। इसमें लगभग 5 किलो 500 ग्राम सोना और 596 तांबा किलोग्राम लगाया गया है। लगभग 596 इतने किलो तांबे के ऊपर सोने की परत चढ़ाई गई है।
दिल्ली की समाजसेवी संस्था द्वारा यह कार्य किया गया है, जिसे बनाने में गुजरात और राजस्थान के लगभग 50 कारीगर नवरात्र के दौरान दिन-रात इस कार्य में लगे थे और अब धीरे-धीरे मंदिर स्वर्ण का नजर आने लगा है।
इससे पहले भी मंदिर की सजावट में स्वर्ण का कार्य पंजाब की समाजसेवी संस्थाओं द्वारा किया जाता रहा है। सर्वप्रथम माता जी के मंदिर के स्वर्ण के गुंबद श्रीनयनादेवी लंगर कमेटी पंजाब की समाजसेवी संस्था द्वारा लगाए गए थे।
उसके पश्चात गर्भगृह के अंदर लगभग 3 किलो सोना तांबे के ऊपर चढ़ाकर लुधियाना की समाजसेवी संस्था द्वारा लगाया गया था जबकि मंदिर के गर्भगृह में लगा चांदी का बड़ा छत्र रोपड़ की समाजसेवी संस्था द्वारा लगाया गया है, जिसका वजन 19 किलो 500 ग्राम है।
मंदिर न्यास के अध्यक्ष धर्मपाल ने बताया कि मंदिर न्यास की देखरेख में यह कार्य हो रहा है। माताजी के मंदिर में समय-समय पर विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं द्वारा स्वर्ण का कार्य करवाया गया है और यह स्वर्ण तांबे के ऊपर चढ़ाया गया है जिसे कारीगरों ने बखूबी अंजाम दिया है। अब दूर-दूर तक माता का यह मनमोहक मंदिर श्रद्धालुओं को खूब भाएगा।