सेहत: जड़ी-बूटियां कम करेंगी झुर्रियां, नष्ट नहीं होंगे जवान रखने वाले सेल, सीयू ने किया अध्ययन

--Advertisement--

अध्ययन के अनुसार एजिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकीय स्तर पर शरीर में हानिकारक परिवर्तन होते हैं।

हिमखबर डेस्क

हल्दी, पलाश, तुलसी, आवंला, आंवला, ब्राह्मी जटामांसी, घृतकुमारी, शंखपुष्पी, हेलोरेना जैसी जड़ी-बूटियाें का उपयोग इंसान के चेहरे की झुर्रियां कम करेंगी। इनके उपयोग से इंसान को जवान रखने वाले सेल नष्ट नहीं होंगे।

यह खुलासा एंटी एजिंग थैरेपी के रूप में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की भूमिका पर किए अध्ययन में हुआ है। इस विषय पर केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की डॉ. कीर्ति रैणा ने पड़ताल की है।

अध्ययन के अनुसार एजिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकीय स्तर पर शरीर में हानिकारक परिवर्तन होते हैं। आधुनिक जीवन शैली ने त्वरित उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का जोखिम बढ़ाया है। हालांकि, उम्र बढ़ना एक अपरिवर्तनीय प्रक्रिया है, लेकिन जैविक उम्र बढ़ने के कारणों को नियंत्रित कर सकते हैं।

ये जड़ी-बूटियां बुढ़ापा कम करने में सहायक

  • ब्यूटिया मोनोस्पर्मा यानी पलाश: इनमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स, ब्यूट्रिन और आइसो-ब्यूट्रिन पौधे को हेपेटोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदान करते हैं।
  • पिक्रोरिजा यानी काटुका : हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटी-इंफ्लेमेटरी, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटीऑक्सीडेटिव गुण होते हैं।
  • अश्वगंधा : जड़ों में विथाफेरिन ए, विथेनोलाइड ए होते हैं, जो प्रतिरक्षा को बढ़ाकर दीर्घायु बढ़ाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में देरी करते हैं।
  • बकोपा मोनिएरी (ब्राह्मी) : तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज, दीर्घायु और युवा जीवन शक्ति को बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  • गुडूची या गिलोय : टिनोस्पोरिन, बर्बेरिन, डाइटरपेनोइड्स और जरूरी तेल होते हैं, जो न्यूरोप्रोटेक्टिव, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी कैंसर, कार्डियोवस्कुलर प्रोटेक्टिव व ऑस्टियोप्रोटेक्टिव हैं।
  • हल्दी : इसमें 235 से अधिक रसायन पाए गए हैं जिनमें आवश्यक तेल मुख्य बायोएक्टिव तत्व हैं।
  • एलोवेरा : माना जाता है कि यह वात, पित्त और कफ के बीच संतुलन में सुधार करता है।
  • अन्य औषधियां : फिलैन्थस निरुरी (भूम्यामालाकी), हेलोरेना एंटीडिसेंटेरिका (कुटजा), राउवोल्फिया सर्पेन्टाइन (सर्पगंधा), स्वर्टिया कॉर्डेटा (किराटा टिकटा), प्लूचिया लांसोलाटा (रसाना), टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया, कॉन्वोल्वुलस प्लुरिकौलिस (शंखपुष्पी), ग्लाइसीराइजा ग्लबरा (यष्टिमधु), ओसीमम बेसिलिकम (तुलसी), पैनाक्स जिनसेंग का उपयोग प्रतिरक्षा बूस्टर और कायाकल्पक के रूप में होता है।
  • आंवला : इंडियन गूज बेरी के नाम से भी जाना जाता है, यह विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है, जो सेलुलर एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
  • नॉर्डोस्टैचिस (जटामांसी) : इसका उपयोग टॉनिक, उत्तेजक और कीटाणुनाशक के रूप में होता है, जिसकी जड़ें जरूरी तेल का उत्पादन करती हैं। इसमें वेलेरानोन होता है। इसका उपयोग हृदय रोगों, मानसिक विकारों, उच्च रक्तचाप, वायरल और जीवाणु संक्रमण के उपचार के लिए होता है।
--Advertisement--
--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related

उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानियां ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की मुलाक़ात

हिमख़बर डेस्क  उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने गुरुवार को...

हारचक्कियां में खुला टैक्सी यूनियन का ब्रांच ऑफिस

लपियाना में देवभूमि मां बगलामुखी टैक्सी मैक्सी यूनियन की...

“हिमाचल को 1500 करोड़ देने के लिए PM मोदी का आभार, लेकिन नुकसान 10 हजार करोड़ से ज्यादा का हुआ”

शिमला - नितिश पठानियां पीएम नरेंद्र मोदी ने आपदा से...