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बकलोह – भूषण गूरूंग 

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आज छट्टा नवरात्रे मे बक्लोह के सुप्रसिद्ध काली माता के मंदिर में दोपहर तक लगभग 300 लोगो ने अपना माथा टेक कर अपनी सुख और समृद्धि की कामना की।

इस मंदिर का निर्माण 1886 में चतुर्थ गोरखा राइफल के सूबेदार मेजर कुलपति गुरूंग के द्वारा किया गया था। सपने मे माँ ने खुद उनको बताया था उनकी मंदिर का निर्माण किया जाए।

जो आज भी एक पिंडी के रूप में माता चिलामा के सील हिल की पहाड़ियों में विराजमान है। जो शोयम भु प्रकट हुई थी। चतुर्थ गोरखा राईफल यहाँ से उठ जाने के कारण जिसका देख रेख का जिम्मा बकलोह के गोरखा सभा को दिया गया था जो आज भी इस कि देख रेख करते हैं।

पहले नवरात्रे से अभी तक लगभग ढाई से तीन हजार श्रद्धालुओं के द्वारा तक चैत्र नवरात्रे में माँ का दर्शन किया जा चुका है।

मंदिर के पुजारी राज कुमार शर्मा ने बताया कि मंदिर परिसर में हर रोज भीड़ लगी रहती हैं। सुबह और शाम को माँ की आरती की जाती है। खासकर दूर दूर के जातरू आकर दिन भर भजन कीर्तन कर जाते है।

अष्टमी के दिन में गोरखा सभा के सभा पति विजय गुरूंग के द्वारा हवन पूजन के साथ कंजका पूजन के बाद सभी आने जाने वाले लोगो के लिए प्रसाद वितरित की जाती हैं। इस मंदिर में साल में कई बार विशाल भंडारे और जागरण का भी आयोजन किया जाता है।

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