नाहन, 31 जनवरी – नरेश कुमार राधे
‘सिरमौरी ताल’, वो जगह है….जहां सिरमौर रियासत की राजधानी हुआ करती थी। दंत कथा के मुताबिक ये राजधानी नटनी के श्राप से गर्क हो गई थी। चंद दशक पहले तक इस जगह पर अवशेष मिलते रहे हैं।
ताजा घटनाक्रम में सिरमौरी ताल के रहने वाले संत राम पुत्र रंगी राम को खेत में बिजाई के दौरान भगवान गणेश की एक प्राचीन मूर्ति मिली है। हालांकि मूर्ति मिले तकरीबन दो सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन बात सोमवार को सामने आई।
भगवान गणेश जी को पत्थर पर उकेरा गया है। जानकारी ये है कि मूर्ति का वजन दो से तीन किलो के बीच है। मूर्ति मिलने के बाद दिहाड़ी मजदूरी करने वाले संत राम ने इस बारे ‘पंडित’ से संपर्क किया।
पंडित ने मूर्ति को एक मंदिर में स्थापित करने की सलाह परिवार को दी है। इसके बाद समूचा परिवार मंदिर के निर्माण में लगा है।
बातचीत में संत राम का कहना था कि सिरमौरी ताल में प्राचीन मंदिर मौजूद है। यहां मौजूद प्राचीन मूर्तियों व रियासत के अवशेषों को समय-समय पर अनजान लोग ले जाते रहे हैं। उनका कहना था कि वो अपने सामर्थ्य के मुताबिक गणेश भगवान के मंदिर के निर्माण में जुट गए हैं।
संत राम ने कहा कि मूर्ति को मिले करीब 14-ं15 दिन हो गए हैं। मूर्ति मिलने के दिन को स्मरण करते हुए संत राम ने कहा कि पहले ट्रैक्टर से खुदाई गई थी। घर लौटते वक्त मिट्टी में कुछ दबा हुआ प्रतीत हुआ। हाथ से ही मिट्टी हटाने पर गणेश भगवान की मूर्ति सामने आ गई।
उल्लेखनीय है कि कंवर रणजौर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘तारीख-ए-सिरमौर’ के तीसरे अध्याय में नटनी के श्राप को दंत कथा से जोड़ा गया है। इसके मुताबिक सिरमौर के शासक ने नटनी को धागे पर गिरि नदी पार करने पर आधी रियासत देने का वचन दिया था। आधा रास्ता तय करने के बाद धागे को काट दिया गया था। नटनी ने गिरते वक्त रियासत को गर्क होने का श्राप दिया था।
लेखक ने दंत कथा पर अपनी टिप्पणी करने से इंकार किया है। लेखक ने ये भी जिक्र किया है कि गिरि नदी में बाढ़ की घटना को नटनी के श्राप से जोड़ दिया गया था।
लेखक ने ये माना था कि गिरिनदी में बाढ़ आने के कारण सिरमौरी ताल अवश्य ही नष्ट हुआ होगा, क्योंकि ये स्थान गिरिनदी के समीप ही स्थित है। बता दें कि सिरमौरी ताल में पुराने भवनों के अवशेष मौजूद हैं। रियासत के गर्क होने के वक्त सिरमौर का शासक मदन सिंह था।