समोसे की बहस में हम भूल गए IPS अधिकारी को जिसकी टक्कर सीधे बाहुबली के साथ थी, समोसे की आड़ में एक IPS अधिकारी का मुद्दा दब गया, क्या महिला अधिकारी को सरक्षण नहीं दे पाया पुलिस प्रशासन और मुखिया? क्या बेबस है राजनेताओं के आगे पूरी IPS लॉबी जो किसी ने उफ़ तक न की? क्या इशरों पर नाचने वाले अधिकारी ही पहली पंसद होते हैं नेताओं की।
हिमखबर डेस्क
हिमाचल के औद्योगिक शहर बद्दी में एक ऐसा किस्सा उभरकर सामने आया है जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक ओर हैं जिले की ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ महिला एसपी, जो अपने निडर अंदाज और साफ-सुथरी प्रशासनिक कार्यशैली के लिए जानी जाती हैं, और दूसरी ओर हैं बद्दी के एक रसूखदार शराब कारोबारी नेता।
औधोगिक क्षेत्र बद्दी अवैध शराब का माफिया, सैक्रप माफिया, खनन माफिया जो अपने लालच में इतना अंधा हो चुका है कि गरीब मजदूरों की मेहनत की कमाई को निगलता जा रहा है। मजदूर अपनी दिहाड़ी का आथा हिस्सा इन ठेकों पर छोड़ आते हैं, जहां उन्हें नशे के जाल में फंसाया जाता है।
यह नेता, जिसने तीन दशकों से ज्यादा वक्त तक अवैध शराब और खनन माफिया का संचालन किया है, अब एक युवा और ईमानदार महिला अधिकारी के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव, कानूनी बाधाएं खड़ी कर उसे सबक सिखाने की धमकी देता रहा ताकि उसकी अवैध गतिविधियों पर कोई कार्रवाई न हो सके।
“बद्दी हमारी जागीर है, पहला अधिकार हमारा है” बाहुबली नेता का ऐलान
बद्दी के इस दबंग नेता का दावा है कि यह शहर उसके परिवार की जागीर है, जो उसे उसके पिता से विरासत में मिली है। उसकी राय में जिले की हर नियुक्ति, हर अधिकारी उसके इशारों पर नाचना चाहिए, और पहाँ तक कि जिले की पुलिस अधीक्षक को भी उसकी मर्जी के मुताबिक काम करना होगा।
बता दें कि एसपी ने हाल ही में अवैध शराब, खनन और ड्रग्स के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी है, उससे इस नेता की सत्ता को चुनौती मिली है। मज़े की बात यह है भले ही अधिकारियों को किसी निजी विशेष कारण से छूटी मिले न मिले पर नेता से टकराव होने पर उन्हें लम्बी छुट्टी ज़रूर मिल जाती है। कितना लाचार है पुलिस प्रशासन जो समोसे की छानबीन में मस्त है इन जरूरी मुद्दों पर उसका ध्यान नहीं।