सफलता की कहानी: गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी पर चहके किसान, 60 रुपए प्रति किलो मिल रहे दाम

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कहा प्राकृतिक खेती व किसानों की मेहनत को सुक्खू सरकार ने दिया पूरा सम्मान, मंडी जिला में पांच दिनों में ही 28 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद

मंडी – अजय सूर्या

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रदेश सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। हिमाचल किसानों को उनकी मेहनत का उचित सम्मान व फसल का बेहतर दाम प्रदान कर एक नई मिसाल कायम कर रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की पहल पर राज्य में प्राकृतिक खेती से उत्पादित अनाज पर देशभर में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।

प्राकृतिक विधि से उत्पादित गेहूं का समर्थन मूल्य 60 रुपए प्रति किलोग्राम मिलने पर प्रदेश सहित मंडी जिला के किसान भी खुशी से चहक रहे हैं। उनका कहना है कि कभी मात्र 26 रुपए प्रति किलो बिकने वाले उनके गेहूं के अब दोगुने से भी अधिक दाम मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री की यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

156 किसानों से 30.39 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद

मंडी जिला में इस पहल के अंतर्गत अब तक 156 किसान प्राकृतिक विधि से तैयार लगभग 30.39 मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। इसके लिए मंडी सदर, पधर, सुंदरनगर, जोगिंदर नगर, सरकाघाट व धर्मपुर में छह प्रापण केंद्र स्थापित किए गए हैं। एक जून से शुरू खरीद के तहत अभी तक 136 किसानों से लगभग 28 मीट्रिक टन गेहूं क्रय की जा चुकी है।

घर से गेहूं उठाने पर 200 रुपए प्रति क्विंटल अतिरिक्त

सरकार ने किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह भी निर्णय लिया है कि गेहूं को प्रापण केंद्र तक लाने पर उन्हें 200 रुपए प्रति क्विंटल ढुलाई का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। यह कदम विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों के लिए अत्यंत राहत भरा सिद्ध हो रहा है।

पहले 26 रुपए किलो बिकने वाले गेहूं के मिल रहे 60 रुपए

जोगिंदर नगर के गांव कोहरा की अंबिका देवी  ने बताया कि वह वर्ष 2019-20  से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। पहले गेहूं का दाम 26 रुपए  प्रति किलो तक मिलता था, लेकिन वर्तमान प्रदेश सरकार ने शुरू में इसे 40 रुपए और अब बढ़ाकर 60 रुपए प्रति किलो कर दिया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद किया है।

चौंतड़ा क्षेत्र के गांव भडयाड़ा की अनीता लगभग छह साल से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गेहूं के दामों में बढ़ोतरी का उन्हें काफी लाभ मिला है। इसके लिए वे सरकार व मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करती हैं।

पीपली क्षेत्र के भरमेड़ा गांव के काली दास ने कहा कि पहले उन्हें उपज का उतना मूल्य नहीं मिल पा रहा था, मगर सुक्खू सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाई गेहूं के दामों में बढ़ोतरी कर किसानों की मेहनत का उचित मूल्य देकर उनका सम्मान बढ़ाया है।

बिचौलियों से छुटकारा मिलने पर किसान खुश

सरकाघाट के तताहर गांव के किसान ब्रह्मदास शर्मा ने प्राकृतिक खेती से उपजे अनाज की सरकारी स्तर पर खरीद का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से बिचौलियों से छुटकारा मिला है और फसल के उचित दाम भी मिल रहे हैं। उन्होंने किसानों से सीधी खरीद की इस नीति के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।

सूलपुर बहरी के कृष्ण चंद, सैण अलाथु के कैप्टन हुकमचंद, धर्मपुर के खनौड़ गांव के कृष्ण चंद ने भी बढ़े दामों पर खुशी व्यक्त कर सरकार का आभार जताया है।

मूल्यों में बढ़ोतरी से जीविका के साधन हुए सुदृढ़

धर्मपुर की ग्राम पंचायत बनाल की मीरा सकलानी का कहना है कि प्राकृतिक विधि से उपजाए अनाजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होने से उनकी आर्थिकी में सुधार आएगा और किसानों की जीविका साधन सुदृढ़ करने की दिशा में यह बेहतर कदम है। उन्होंने हल्दी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 90 रुपए प्रति किलोग्राम करने पर भी सरकार का आभार जताया है।

धर्मपुर क्षेत्र की लता देवी ने बताया कि वे एक क्विंटल गेहूं प्रापण केंद्र में बिक्री के लिए लाई, जिसके उन्हें अच्छे दाम मिले। ग्राम पंचायत सरी की चंपा देवी ने बताया कि वे 2019 से जीरो बजट प्राकृतिक खेती कर रही हैं। अब उन्हें फसलों के उचित मूल्य मिल पाए हैं। उन्होंने 2.50 क्विंटल गेहूं बेची है। उन्होंने हल्दी व गेहूं के मूल्य में बढ़ोतरी के लिए मुख्यमंत्री का तहेदिल से धन्यवाद किया है।

मंडी जिला में आत्मा परियोजना के तहत गोहर, सदर व सरकाघाट क्षेत्र में 15 किसानों से प्राकृतिक तौर पर उगाई 2.955 मीट्रिक टन कच्ची हल्दी की खरीद भी बढ़े हुए मूल्यों पर की गई है।

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