संजय पराशर को 523 बहनों ने तिलक व राखी बांधकर की लंबी उम्र की दुआ, जसवां-परागपुर के अलावा देहरा, चिंतपूर्णी, गगरेट और ज्वालाजी क्षेत्र से भी स्वाणा गांव में पहुंची बहनें ।
डाडासीबा- शिव गुलेरिया
इस बार रक्षाबंधन के पर्व पर भद्रा योग बनने से उहोपोह की स्थिति बनी रही। ज्योतिषिविदों में इस पर्व को लेकर मतभेद होने के चलते यह त्योहार वीरवार और शुक्रवार को भी मनाया गया।
बावजूद कैप्टन संजय पराशर के निवास स्थान स्वाणा में दोनों ही दिन बहनों का उन्हें अपार स्नेह मिला। जसवां-परागपुर क्षेत्र की हर पंचायत से बहनों ने अपने भाई कैप्टन संजय को कलाई को सुंदर व रंगबिरंगी राखियों से सजा दिया।
जसवां-परागपुर के अलावा देहरा, चिंतपूर्णी, गगरेट और ज्वालाजी क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में बहनें भाई संजय पराशर से मिलने पहुंची हुई थीं।
पराशर के निवास स्थान दोनों दिन रौनक लगी रही और 523 बहनों ने तिलक व राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की दुआ की।
दरअसल पराशर द्वारा निभाए जा रहे सामाजिक सरोकारों से आम जनता का जुड़ाव व लगाव बेहद गहरा है। कोरोनाकाल में जसवां-परागपुर और अन्य क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए संजय ने दिन-रात एक कर दिया था और करोड़ों रूपए की दवाईयां उपलब्ध करवाने के अलावा वह मरीजों के घर-घर तक दवाईयां, फल और इम्यूनिटी बूस्टर लेकर पहुंचे थे।
इसके साथ ही पराशर द्वारा विदेश से आयात किए गए ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर अब तक जरूरतमंद मरीजों तक बिना किसी देरी के पहुंचाए जा रहे हैं।
शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और नारी सशक्तीकरण के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों का जिक्र इसलिए भी होता है क्योंकि उन्होंने अपने संसाधनों से सामाजिक सरोकारों की नई परिभाषा लिख दी है।
जसवां-परागपुर क्षेत्र की हर पंचायत व गांव में उनके समाज सेवा के कार्यों की गूंज सुनाई देती है। इसी का परिणाम है कि अलोह से लेकर संसारपुर टैरेस और गगरेट से लेकर देहरा तक की बहनें पराशर को भाई मानकर राखी बांधने पहुंची हुई थीं।
स्वाणा में पहुंची बठरा नीतू कुमारी और स्नेहलता ने बताया कि संजय पराशर ने उनके बच्चों के लिए गांव में फ्री कंप्यूटर व इंग्लिश लर्निंग सेंटर खोला है।
गांव में ही दो मेडीकल कैंपों का आयोजन किया और पराशर क्षेत्र की जनता के हर सुख-दुख में खड़ा रहते हैं। संजय समाज में भाई और बेटे की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं।
कड़ाेआ से मधुवाला ने बताया कि डेढ़ वर्ष पहले उनकी रिश्तेदार स्वर्णा देवी को सांस लेने दिक्कत हो गई। तब कैप्टन संजय ने अपनी टीम के पास ऑक्सीजन कस्ट्रेटर भेजा। अब देवी स्वस्थ हैं। वह पराशर को अपना भाई मानती हैं क्योंकि वह निस्वार्थ भाव से आम जनमानस की सेवा में लगे हुए हैं।
कलोहा गांव की दुर्गेश ने पराशर को राखी बांधने के बाद बताया कि कैप्टन संजय ने जसवां-परागुर क्षेत्र में विजन के तहत समाज के हर वर्ग की मदद करने का प्रयास किया है।
मेधावी विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिए पराशर स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं तो क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के लिए भी उन्होंने रोजगार के साधनों का सृजन करके बेरोजगारी पर कड़ा प्रहार किया है।
कुछ ऐसे ही अनुभव सांझा करते हुए अलोह की मधु, कटोह-टिक्कर से सोनू, न्याड़ से मीना, चिंतपूर्णी से मोनिका, टैरस से सुषमा, गुरालधार से वंदना, लंडियाड़ा से रीता देवी, अप्पर बनवाल से रजनी, रैल से शंकुतला देवी व मनीषा और भनेड़ से रीता देवी ने बताया कि संजय समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं और इसलिए वह उन्हें रक्षाबंधन के अवसर पर राखी बांधने पहुंची हुई थीं।
वहीं, संजय पराशर ने बताया कि बहनों ने रक्षाबंधन के अवसर पर उन्हें जो स्नेह व प्यार दिया है, इसके लिए वह सदैव उनके आभारी रहेंगे और भाई-बहन का यह रिश्ता ताउम्र चलता रहेगा।