शिक्षा के प्रति कांग्रेस सरकार का रवैया उदासीन व चिंताजनक

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एसएफआई प्रदेश सरकार द्वारा अटल आदर्श विद्यालयों को निजी हाथों में सौंपने का करती है विरोध 

शिमला – नितिश पठानियां     

एसएफआई प्रदेश सरकार द्वारा तीन अटल आदर्श विद्यालयों को निजी हाथों में सौंपने का विरोध करती है। एसएफआई का मानना है की कांग्रेस सरकार जब से सत्ता में आई है तब से शिक्षा के प्रति प्रदेश सरकार का रवैया उदासीन रहा है, जिसका एक उदाहरण अटल आदर्श विद्यालय को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी•पी•पी•) मॉडल के तहत निजी हाथों में सौंप कर निजी संस्थाओं को फायदा पहुंचाना है।

शिक्षा क्षेत्र के अंदर (पी•पी•पी•) का मॉडल नई शिक्षा नीति 2020 के तहत लाया गया। जिसका उद्देश्य शिक्षा और शिक्षण संस्थानों को निजी हाथों में सौंपना है। एसएफआई शुरुआत से ही नई शिक्षा नीति का विरोध करती आ रही है।

हिमाचल प्रदेश की भूतपूर्व भाजपा सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में 10 अटल आदर्श विद्यालय बनाने का लक्ष्य लिया था व 2019-20 के बजट में 15 अटल आदर्श विद्यालय बनाने का लक्ष्य लिया था। परंतु पूर्व भाजपा सरकार के शिक्षा के प्रति उदासीन रवैये के चलते सरकार केवल तीन विधनसभाओ, धर्मपुर के मढ़ी, बंगाणा के मैहरा और नाचन के गुढ़हेरी क्षेत्र में 135 करोड़ की लागत से बनाने में सफल हुई।

हिमाचल प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल के नाम से आवासीय स्कूल खोलने का फैसला लिया जिसके लिए 300 करोड रुपए बजट का प्रावधान किया गया। जिसकी शुरुआत में नौ स्थान पर जमीन शिक्षा विभाग के नाम हो गई है। प्रदेश सरकार ने हर विधानसभा क्षेत्र में एक आवासीय स्कूल खोलने का लक्ष्य लिया है

एसएफआई राज्य कमेटी का मानना है की प्रदेश की कांग्रेस सरकार पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा खोले गए अटल आदर्श विद्यालय को अगर (पी•पी•पी) मॉडल के तहत निजी संस्थाओं को बेच रही है इसका साफ मतलब है कि भविष्य में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल को भी (पी•पी•पी )मॉडल के तहत ही निजी संस्थाओं को दिया जाएगा।

एसएफआई का मानना है की निजी क्षेत्र में फीस के नाम पर भारी भरकम लूट के साथ पहले से ही आवासीय स्कूल प्रदेश भर में चल रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में नए आवासीय स्कूल खोले जा रहे हैं परंतु सरकार इन स्कूलों को खुद न चला कर निजी हाथों में दे रही है जो की बेहत निंदनीय है।

एसएफआई का आरोप है कि 135 करोड़ की लागत से बनाए गए तीन स्कूल जो की सरकार का पैसा था अब निजी हाथों में दिए जाएंगे मतलब साफ है कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग प्राइवेट प्लेयर्स को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है

एसएफआई राज्य सचिव दिनित देंटा प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रदेश सरकार अपने इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो प्रदेश भर के छात्रों, अभिभावकों को लामबंद करते हुए प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।

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