विधानसभा चुनावों के बाद जनता को आठ दिसंबर का इंतजार, गली-मोहल्लों में चर्चाओं को दौर
शाहपुर – नितिश पठानियां
रिवाज बदलेगा या जारी रहेगा, प्रदेश स्तर पर उक्त वाक्य पिछले कई महीनों से चुनाव के संदर्भ ओर 2023 की विधानसभा के लिए खूब चर्चित रहा। जिस तरह भाजपा प्रदेश स्तर पर रिवाज बदलेगा का नारा बुलंद कर रही है।
अगर शाहपुर में रिवाज बदला तो यहां भाजपा का अपना ही नारा उसी पर भारी पड़ सकता है ओर यहां कांग्रेस रिवाज बदलने में कामयाब हो जाएगी।
बता दें कि शाहपुर के पिछले अद्र्धशतक के सियासी सफर पर नजर दौड़ाएं तो हम पाएंगे कि इस सीट पर कोई भी नेता चाहे जिस किसी भी पार्टी का हो लगातार तीन बार काबिज हुआ है।
इतिहास गवाह है कि वर्ष 1982 में जब आजाद प्रत्याशी के तौर पर मेजर विजय सिंह मनकोटिया विधायक बने तो उन्होंने लगातार 1982 (आजाद), 85 (कांग्रेस), 90 (जनता दल) और 93 (कांग्रेस) में लगातार चार बार चुनाव जीतकर 1983 तक शाहपुर का प्रतिनिधित्व किया ।
वर्ष 1990 में पार्टी भी बदली, लेकिन लगातार तीन बार एक ही आदमी को चुनने की रिवायत नहीं बदली। इस दौरान 2007, 2012 और 2017 में शाहपुर ने अपनी बागडोर भाजपा प्रत्याशी सरवीण चौधरी को सौंपी। जिन्हे जनता तीन बार लगातार चुनते चली गई।
इससे पहले 1998 (सरवीण चौधरी) और 2003 ( मेजर विजय सिंह मनकोटिया) में शाहपुर की जनता ने रिवाज़ तोड़ते हुए अपने प्रतिनिधियों को बदला था। 2017 में जीत की हैट्रिक लगा चुकी सरवीण चौधरी को निरंतरता बनाए रखने का मौका मिलेगा, यह तय होना बाकी है।
आठ दिसंबर तय करेगा कि शाहपुर का रिवाज बदलेगा या जारी रहेगा। यानी शाहपुर ने रिवाज बदला तो कांग्रेस सत्तासीन होगी और रिवाज बरकरार रहा तो भाजपा रिपीट करेगी जो भाजपा के प्रादेशिक नारे से बिलकुल उलट है।
उल्लेखनीय यह भी है वर्ष 2017 में 6,147 मतों के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ था। अब देखना यह है कि शाहपुर का मतदाता क्या करवट लेता है जबकि नए मतदाताओं में करीब पांच हजार का इजाफा हुआ है।