शांता कुमार ने 25 जून 1975 की रात को बताया आजाद भारत के इतिहास की सबसे काली रात, पढ़ें खबर

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हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि आज से 46 वर्ष पहले आज के ही दिन 25 जून 1975 की रात आजाद भारत के इतिहास की सबसे काली रात थी। इंदिरा गांधी ने रात के 12 बजे आपातकाल की घोषणा कर दी।

 

व्यूरो रिपोर्ट

 

हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि आज से 46 वर्ष पहले आज के ही दिन 25 जून, 1975 की रात आजाद भारत के इतिहास की सबसे काली रात थी। इंदिरा गांधी ने रात के 12 बजे आपातकाल की घोषणा कर दी। विश्व भर के किसी भी सभ्य लोकतंत्र में कभी ऐसा नहीं हुआ था।  भारत की जनता को उस काली रात की दुर्भाग्यपूर्ण और निन्दनीय घटना को हमेशा याद रखना चाहिए।

 

उन्होंने कहा उस समय देश में कुछ नहीं हुआ था।  न विदेशी आक्रमण हुआ था, न कोई भूचाल आया था और न ही देश के अन्दर किसी प्रकार की समस्या थी। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में कांग्रेस के भ्रश्टाचार के विरूद्ध आंदोलन चल रहा था।

 

जयप्रकाश नारायण ने समग्र क्रांति का नारा दिया था। 12 जून को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक चुनाव याचिका के निर्णय में उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चुनाव भ्रष्ट तरीके से जीते जाने के कारण रदद कर दिया और उन्हें छह वर्ष तक चुनाव अयोग्य ठहरा दिया।

शांता कुमार ने कहा केवल एक नेता की कुर्सी के लिए पूरे देश को जेल खाना बना दिया गया। एक लाख 10 हजार विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया।  संविधान को स्थागित कर दिया और मूलरूप अधिकारों को भी समाप्त कर दिया। यहां तक की भगवान और संविधान द्वारा दिया गया जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया।

 

उन्होंने कहा जब मैं विधायक था। 23 जून शिमला को चला। पत्नी संतोष ने पूछा था कब वापस आओगे – मैंने उत्तर दिया था – कल बैठक है परसों तक आ जाऊंगा। वह परसों 19 मास तक नहीं आया।  28 दिसंबर टांडा हस्पताल में साम को संतोष के पास बैठा था। उसने कहा अब आप जाए कल आ जाना।

 

29 दिसंबर प्रातःकाल चार बजे वह यह दुनिया छोड़ कर चली गई।  23 जून परसों तो 19 महीने बाद आ गया था परन्तु 28 दिसम्बर का कल आज तक नहीं आया। अब कभी भी नही आयेगा।

 

शांता कुमार ने कहा मुझे 19 महीने नाहन जेल रहने का सौभाग्य मिला था। पूरे देश के उस समय के लोकतंत्र पहरियों को नमन करता हूं। 90 लोग जेल की यातनाओं से मृत्यु को प्राप्त हुए थे।

 

उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं और नाहन जेल के साथियों को याद करके जिनके साथ रह कर एक आश्रम बना दिया था। इस दिन को पूरा भारत याद रखें और भविष्य में कभी भी इस प्रकार की घटना न घटें।

 

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