बिलासपुर- सुभाष चंदेल
माता-पिता भले ही अपने बेटे के लिए दुल्हन घर लाने की हसरत पूरी नहीं कर पाए हों, लेकिन शहीद अंकेश का दूल्हे की तरह स्वागत होगा। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में घुमारवीं के सेऊ गांव में बांचा राम ने पूरे घर को शादी समारोह की तरह सजाया है। पूरे घर को लड़ियों और पत्रमाला से सजाया गया है। टेंट और स्वागत गेट लगाया गया है। जिस रास्ते से शहीद की पार्थिव देह घर लाई जानी है, उस रास्ते में बाकायदा होर्डिंग लगाए गए हैं।
शहीद अंकेश भारद्वाज की पार्थिव देह पांच दिन बाद भी घर नहीं पहुंची है। अरुणाचल प्रदेश में मौसम खराब होने से शनिवार को भी पार्थिव देह घर पहुंचने की उम्मीद कम है। बीते छह फरवरी को अंकेश के बर्फीले तूफान में लापता होने की खबर मिली थी। इसके बाद परिजनों के साथ क्षेत्र के लोग भी अंकेश के घर में बैठे हैं। माता-पिता टकटकी लगाए शहीद बेटेकी पार्थिव देह की राह ताक रहे हैं।
अंकेश के दोस्तों और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी मंगवाई है। दाह संस्कार की लकड़ी मुक्तिधाम में पहुंचाई जा चुकी है। अंकेश की माता की आंखें बेटे के इंतजार में पथरा गई हैं। गांव की महिलाएं शहीद की माता को सांत्वना देने के लिए 6 जनवरी से अंकेश के घर पर हैं।
खराब मौसम में उड़ान नहीं भर पाया हेलिकॉप्टर
शहीद के पिता बांचा राम ने बताया कि सेना के अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी है कि अरुणाचल के कामेंग से तेजपुर तक करीब तीन सौ किलोमीटर की दूरी है। यह इलाका बर्फ के पहाड़ों से घिरा है। यहां लगातार बर्फबारी हो रही है।
मौसम साफ होने पर कामेंग से तेजपुर तक पार्थिव शरीर हेलिकॉप्टर से लाए जाने थे। तेजपुर से पठानकोट तक जहाज में पार्थिव देह पहुंचानी थी। हेलिकॉप्टर के उड़ान न भरने के कारण वाहन से पार्थिव शरीर तेजपुर तक लाए जा रहे हैं।
गांव के लोग पुराने घर में बनाकर खिला रहे खाना
हिंदू धर्म के अनुसार घर में तब तक खाना नहीं बनता है, जब तक मृतक का अंतिम संस्कार न हो जाए। अंकेश की शहादत की खबर मिले पांच दिन हो गए हैं। ऐसे में उनके घर पर खाना नहीं बन रहा है। उनके पुराने घर में गांव की महिलाएं खाना बना रही हैं। शहीद के माता-पिता को जबरन दो निवाले खिलाए जा रहे हैं।